माता लक्ष्मी की देन-रक्षाबन्धन - Raksha Bandhan Maa Lakshmi ki-den

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माता लक्ष्मी की देन-रक्षाबन्धन

बलि के अंहकार को मिटाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में अवतरित हुए और बलि का उद्धार किया। इसके साथ-साथ राजा बलि को पाताल लोक का राजा बनाया। राज बलि ने भी भगवान विष्णु से ही अपने द्वारपाल बनने का वरदान प्राप्त किया। सृष्टि के पालन कर्ता द्वारपाल बन जाते तो सृष्टि कैसे चलती। इसका मतलब सृष्टि के कार्य में रूकावट इसलिए मां लक्ष्मी नेे इसका समाधान किया और उन्होंने राजा बलि को राखी के बंधन से बांध दिया और साथ ही भाई-बहन का रिस्ता बनाया उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। तब से अभी तक तक बहनें अपने भाई राखी बांधती हैं और इसके बदले भाई से रक्षा का बचन लेती है। इसलिए रक्षासूत्र बांधते वक्त जो मंत्र पढ़ा जाता है उसमें राजा बलि को रक्षा की याद दिलाई जाती है। मंत्र: येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल इसके साथ-साथ भाई ने भगवान विष्णु को मां लक्ष्मी को दे दिया और उन्हें इस बंधन से मुक्त कर दिया। तब से ही रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाता है। राजा बलि ने भगवान विष्णु से अनुरोध किया - प्रभु हो सके तो साल में एक वार मुझे अवश्य दर्शन देवें भगवान विष्णु ने इस अनुरोध को स्वीकार किया। इसलिए भगवान विष्णु एकादशी के दिन पाताल लोक में राजा बलि के यहां चार महिने तक पहरा देने जाते हैं। और इन चार महिने तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते है।

बलि के अंहकार को मिटाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में अवतरित हुए और बलि का उद्धार किया। इसके साथ-साथ राजा बलि को पाताल लोक का राजा बनाया। राज बलि ने भी भगवान विष्णु से ही अपने द्वारपाल बनने का वरदान प्राप्त किया। सृष्टि के पालन कर्ता द्वारपाल बन जाते तो सृष्टि कैसे चलती। इसका मतलब सृष्टि के कार्य में रूकावट इसलिए मां लक्ष्मी नेे इसका समाधान किया और उन्होंने राजा बलि को राखी के बंधन से बांध दिया और साथ ही भाई-बहन का रिस्ता बनाया उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। तब से अभी तक तक बहनें अपने भाई राखी बांधती हैं और इसके बदले भाई से रक्षा का बचन लेती है। इसलिए रक्षासूत्र बांधते वक्त जो मंत्र पढ़ा जाता है उसमें राजा बलि को रक्षा की याद दिलाई जाती है। मंत्र: येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल इसके साथ-साथ भाई ने भगवान विष्णु को मां लक्ष्मी को दे दिया और उन्हें इस बंधन से मुक्त कर दिया। तब से ही रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाता है। राजा बलि ने भगवान विष्णु से अनुरोध किया - प्रभु हो सके तो साल में एक वार मुझे अवश्य दर्शन देवें भगवान विष्णु ने इस अनुरोध को स्वीकार किया। इसलिए भगवान विष्णु एकादशी के दिन पाताल लोक में राजा बलि के यहां चार महिने तक पहरा देने जाते हैं। और इन चार महिने तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते है।Raksha Bandhan Mythological Story in hindi, raksha bandhan kisne banaya in hindi, raksha ki parampara kisne banaya in indi, सूत्र जानते हैं पहली बार रक्षा सूत्र किसने किसको बांधा था? 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माँ संतोषी और रक्षाबंधन

रक्षाबंधन का संबंध माँ संतोषी के जन्म से जोड़ा जाता है। कहते है इस शुभ दिन पर भगवान गणेश की बहन मनसा उनको राखी बांधने के लिए आई थी तब यह देखकर गणेश पुत्र शुभ और लाभ हठ पर बैठ गये। वह भगवान गणेश से एक बहन की माँग करने लगे। वह भी चाहते थे कि उनकी कलाई में राखी बाँधने वाली उनकी भी बहन हो। नारद जी ने गणेशजी को बेटी की आवश्यकता समझाई वो सहमत हुए और पत्नी ऋद्धि और सिद्धि से उठने वाली दैवीय लपटों से बेटी संतोषी माता का जन्म हुआ और शुभ-लाभ को कलाई पर राखी बांधने वाली अपनी बहन मिल जाती है।

भगवान यम और यमी

धार्मिक पुराणों के अनुसार यमी यानी यमुना मृत्यु के भगवान यम को अपना भाई मानती थी। उन्होंने यम की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांधा था। भाई के रुप में अपने लिए इतना असीम स्नेह देखकर भगवान यम बहुत भावुक हो गए। उन्होंने यमी को हमेशा सुरक्षा का वादा किया और कहा जाता है कि उन्होंने यमी को अमरता का वरदान देते हुए कहा था कि जो भी भाई अपनी बहन की मदद करेगा उसे वह लंबी आयु का वरदान देंगे। 

भगवान विष्णु के अवतार-Bhagwan Vishnu ke Avatars