भगवान शिव का सुरेश्वर अवतार- Sureshwara Avatar

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भगवान शिव का सुरेश्वर अवतार 
(Bhagwan Shiv ka Sureshwara Avatar)

भगवान शंकर का सुरेश्वर अवतार अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरी करता है इस अवतार में भगवान शिव एक छोटे बालक उपमन्यु की भक्ति भावना से प्रसन्न होकर उसे अपनी परम-भक्ति का वरदान देने के लिए सुरेश्वर अवतार में अवतरित हुए। व्याघ्रपाद के पुत्र उपमन्यु लालन-पालन अपने मामा के घर हुआ था। इस छोटे बालक कोे हमेशा दूध की आवश्यकता पड़ती क्योंकि वह दूध बहुत पसन्द करता था। एक दिन उसकी मां ने उसे अपनी इच्छा पूर्ण करने के लिए भगवान शिव की शरण में जाने का रास्ता बताया। माता के इस ब्रहम वचन को सुनकर बालक मन भगवान शिव के प्रति जिज्ञासा हुए। उसे समझ में आ गया भगवान शिव ही उसकी यह इच्छा पूर्ण कर सकते है। माता के मधुर वचन सुनने के बाद बालक उपमन्यु वन में चला गया। घनघोर वन में इस बालक ने भगवान शिव के कृपा पाने के लिए कठोर तपस्या की। यह बालक निरन्तर ऊँ नमः शिवाय का जप करता रहा। भगवान शिव इस बालक श्रद्धा को देखकर रह न सके और प्रसन्न होकर इस बालक के समीप अपना सुरेश्वर रूप धारण कर उपस्थित हुए। 

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भगवान शिव ने इस बालक की परीक्षा लेने का मन बनाया और भगवान शिव की तरह-तरह से निंदा करने लगे। यह सुनकर बालक उपमन्यु कैसे रह सकता था। उसने तो अपनी माता से भगवान शिव को सर्व शक्ति का ज्ञान प्राप्त किया था। वह बालक अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति ऐसे वचन कैसे सुन सकता था। यह सब सुनकर बालक उपमन्यु से रह न गया और क्रोधित होकर उसे मारने के लिए खड़े हो गया। इस बालक में दृढ़ शक्ति और पूर्ण विश्वास देखकर भगवान शिव ने अपने वास्तविक रूप आये और क्षीरसागर के समान एक अनश्वर सागर उसे प्रदान किया। प्रार्थना पर कृपालु भगवान शिव ने उसे परम-भक्ति का स्थान दिया। भगवान शिव की महिमा ऐसी है वह अपने भक्तों की मनोकामना को किसी भी रूप में पूर्ण करते है।

भगवान शिव का सुरेश्वर मन्दिर (Bhagwan Shiv ka Sureshwara Mandir)

ऐसराणा पर्वत की श्रृंखलाओं पर प्राचीन कटकेश्वर महादेव मंदिर सियाणा(जालोर) में  सावन के महिने में भक्तों में भगवान शिव के प्रति बड़ा उत्साह देखा जाता है। कहा जाता है इस मंदिर में पांडवों ने अपने अज्ञात वास के समय भगवान शिव की तपस्या की थी। यहा पर पानी पीने के लिए भीम ने पांडव बैरी का निर्माण किया गया था। यहाँ हर वर्ष पानी से भरा रहता है। मंदिर की तपस्वी जमनागिरी के कठोर तप के बाद भगवान शिव  प्रसन्न हुए। उनकी आज्ञा के अनुसार तपस्वी के एक भाई फतहगिरी कटकेश्वर महादेव मंदिर मायलावास की पहाडी के पीछे स्थित जागनाथ महादेव मंदिर की स्थापना की दूसरे भाई मोरलीगिरी ने सुरेश्वर महादेव मंदिर पांडगरा की स्थापना की।

भगवान शिव के अवतार (Bhagwan Shiv Ke Avatars)

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