महाशिवरात्रि का शुभ दिन आया- Auspicious Day

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महाशिवरात्रि का शुभ दिन आया 
(Came Auspicious day of Mahashivaratri)

पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि को भगवान शिव के जन्म का दिन माना गया है और इसी दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। महाशिवरात्रि के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान कालकेतु विष निकला था। संपूर्ण ब्राह्मांड की रक्षा के लिए भगवान शिव स्वंय ही सारा विष पी गये थे। इस विष के कारण उनका गला नीला पड़ गया तभी से उन्हें नीलकंठ के नाम से  भी जाना जात है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को सिर्फ शिवरात्रि कहा जाता है। लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। यह रात बहुत महत्वपूर्ण होती है इस दिन रात में ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होते है कि मनुष्य भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर आने लगती है। यह एक ऐसा दिन है जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इस दिन का सद्उपयोग करने के लिए सभी इस उत्सव को मनाते हैै। 

व्रत विधि 

1) व्रत का संकल्प- सम्वत, नाम, मास, पक्ष, तिथि-नक्षत्र, अपने नाम व गोत्रादि का उच्चारण करते हुए करना चाहिए। महाशिवरात्रि के व्रत का संकल्प करने के लिये हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि सामग्री लेकर शिवलिंग पर छोड़ दी जाती है। 

2) पूजा में इन वस्तुओं का प्रयोग करें -पंचामृत (गंगाजल, दुध, दही, घी, शहद), सुगंधित फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेध, चंदन का लेप इत्यादि। 

3) इस दिन रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते है। बेलपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि को शिवलिंग में अर्पित करें। 

4) चारों पहर में पूजा-अर्चना की जाती है प्रत्येक पहर की पूजा में ऊँ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। मन्दिर के अलावा घर की पूर्व दिशा मे इस मंत्र का जाप होना चाहिए। चारों पहर में पूजा-पाठ करने से भगवान शिव से कृपा की प्राप्ति होती है।  

5) श्री रामचरितमानस में वर्णित शिव पार्वती विवाह का पाठ करें।

6) श्री रामचरित मानस में वर्णित सीता राम विवाह प्रसंग की सुंदर कथा का पाठ या श्रवण करें।

7) पूरे 24 घंटे का अखंड दीप घर के मंदिर में शिव प्रतिमा के सामने रखें।

8) 108 बेल पत्र पर राम राम लिखकर मंदिर में स्थित शिवलिंग पर विवाह का संकल्प लेकर अर्पित करें।

9) भगवान शिव बहुत ही भोले हैं। वह बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। माता पार्वती शक्ति की देवी है यदि इस पावन अवसर पर शिव पूजा के साथ साथ दुर्गासप्तशती का पाठ भी किया जाय तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसलिए दिन विवाह का संकल्प करके दुर्गासप्तशती का पाठ करें। 

पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि को भगवान शिव के जन्म का दिन माना गया है और इसी दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। महाशिवरात्रि के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान कालकेतु विष निकला था। संपूर्ण ब्राह्मांड की रक्षा के लिए भगवान शिव स्वंय ही सारा विष पी गये थे। इस विष के कारण उनका गला नीला पड़ गया तभी से उन्हें नीलकंठ के नाम से  भी जाना जात है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को सिर्फ शिवरात्रि कहा जाता है। लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। यह रात बहुत महत्वपूर्ण होती है इस दिन रात में ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होते है कि मनुष्य भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर आने लगती है। यह एक ऐसा दिन है जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इस दिन का सद्उपयोग करने के लिए सभी इस उत्सव को मनाते हैै। mahashivratri ka shubh din aaya in hindi, सक्षमबनो इन हिन्दी में, sakshambano in hindi, महाशिवरात्रि का शुभ दिन आया, Came Auspicious day of Mahashivaratri, हर दुखों का निवारण करता है, काल का भय कैसे ? shiv ke 19 avatar, shiv avatar, shiv avatar hindi, bhgwan shiv ke avatar,  shivratri ka mahatva, shivratri kyu manaya jata hai  in hindi,

कथा

भगवान शिव ने माता पार्वती को व्रत-पूजा का उदाहरण देते हुए एक कथा सुनाई। चित्रभानु नाम का एक शिकारी था वह पशुओं की हत्या कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। साहूकार का ऋण ना चुकाने की वजह से एक दिन साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया था। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी शिवमठ में शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना और कथा सनाई जा रही थी। जिसे वह बंदी शिकारी भी सुन रहा था। शाम होते ही वो साहूकार शिकारी के पास आया और ऋण चुकाने की बात करने लगा। इस पर शिकारी ने साहूकार से कर्ज चुकाने की बात कही और अगले दिन शिकारी फिर शिकार पर निकला। इस बीच उसे बेल का पेड़ दिखा वह शिकारी भूखा था और बेल पत्थर तोड़ने का रास्ता बनाने लगा। इस बीच उसे पता नही था कि पेड़ के नीचे शिवलिंग बना हुआ है जोकि पत्थरों से ढका हुआ था। शिकार के लिए बैठने की जगह बनाने के लिए वो टहनियां तोड़ने लगा जोकि संयोगवश शिवलिंग पर जा गिरी। इस प्रकार पूरे दिन भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। इसी दौरान उस पेड़ के पास से एक-एक कर तीन हिरणी निकली पहली गर्भ से थी, जिसने शिकारी से कहा जैसे ही वह प्रसव करेगी खुद ही उसके समक्ष आ जाएगी। अभी मारकर वो एक नही अपितु दो जानें लेगा। शिकारी मान गया। इसी तरह दूसरी हिरणी ने भी कहा कि वो अपने प्रिय को खोज रही है जैसे ही उसके उसका प्रिय मिल जाएगा वो खुद ही शिकारी के पास आ जाएगी। इसी तरह तीसरी हिरणी भी अपने बच्चों के साथ जंगलों में आई। उसने भी शिकारी से उसे ना मारने को कहा और बोली कि अपने बच्चों को इनके पिता के पास छोड़कर वो वापस शिकारी के पास आ जाएगी। 

तीनों पर शिकारी को दया आई और उन्हें छोड़ दिया लेकिन शिकारी को अपने बच्चों की याद आई कि वो भी उसकी प्रतिक्षा कर रहे हैं। तब उसके फैसला किया वो इस बार वो किसी पर दया नही करेगा इस बार उसे हिरण दिखाई दिया जैसे ही शिकारी ने धनुष की प्रत्यंचा खींची हिरण बोला यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन हिरणीयों और छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है तो मुझे भी मारने में विलंब न करें ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन तीनों का पति हूँ यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करें मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊँगा। शिकारी ने अपना धनुष छोड़ा और पूरी कहानी हिरण को सनाई पूरे दिन से भूखा, रात की शिव कथा और शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने के बाद शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया। उसमें भगवद् शक्ति का वास हुआ थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया ताकि वह उनका शिकार कर सके। लेकिन जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता और प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ पछुतावा हुआ। शिकारी ने हिरण के परिवार को न मारकर अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटाकर सदा के लिए दयालु बना लिया। देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे इस घटना के बाद शिकारी और पूरे मृग परिवार को मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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