माँ लक्ष्मी क्यों नौकरानी बनी- Maa Lakshmi Kyun Naukrani Bani

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माँ लक्ष्मी क्यों नौकरानी बनी 
(Maa Lakshmi Kyun Naukrani Bani)

एक बार भगवान विष्णु के मन में धरती पर घुमने की इच्छा हुई और वह अपनी यात्रा की तैयारी मे लग गये। स्वामी को तैयार होता देख कर लक्ष्मी माता ने पुछा ! आज सुबह-सुबह कहाँ जाने कि तैयारी में हो ? विष्णु जी ने कहा लक्ष्मी मैं धरती लोक पर घुमने जा रहा हूँ। कुछ सोच कर लक्ष्मी माता ने कहा! हे देव क्या में भी आप के साथ आ सकती हूँ? भगवान विष्णु ने दो पल सोचा फिर कहा एक शर्त पर तुम मेरे साथ आ सकती हो तुम धरती पर पहुँच कर उत्तर दिशा की ओर नहीं देखोगी,  इस शर्त से माता लक्ष्मी सहमत हो गई। 

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प्रातः माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु धरती पर पहुँचे उसी समय सुर्य देवता का आगमन हुआ। धरती की सुन्दरता को देखकर माता लक्ष्मी अत्यन्त प्रसन्नचित हुई और भगवान विष्णु को दिया वचन भूल गई। धरती को देखती-देखती कब उत्तर दिशा की ओर देखने लगी पता ही नही चला। उत्तर दिशा मै माता लक्ष्मी को एक बहुत ही सुन्दर बगीचा नजर आया और उसी तरफ से खुशबु के साथ बहुत ही सुन्दर-सुन्दर फुल खिले थे। यह एक फूलो का खेत था माता लक्ष्मी बिना सोचे समझे उस खेत मे चली गई और एक सुंदर सा फूल तोड़ ले लाई। जब माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के पास वापिस आई तो भगवान विष्णु की आँखो मै आँसु थे। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को कहा- किसी से बिना पूछे उस का कुछ भी नही लेना चाहिए और इसके साथ अपना वचन भी याद दिलाया।

माता लक्ष्मी को अपनी भुल का पता चला तो उन्होने भगवान विष्णु से इस भुल की माफी मागी। भगवान विष्णु ने कहा- तुम ने जो भूल की है उस की सजा तो तुम्हे जरुर मिलेगी। जिस माली के खेत से तुमने बिना पूछे फूल तोडे़ है यह भी एक प्रकार की चोरी है। इसलिए तुम तीन साल तक माली के घर में रहोगी। इसके बाद मै तुम्हे बैकुण्ठ वापिस बुलाऊँगा माता लक्ष्मी ने चुपचाप सर झुकाकर वचन स्वीकार किया। माता लक्ष्मी एक गरीब औरत का रुप धारण करके उस खेत के मालिक माधव के झोपड़ी पर गई।  माधव ने पुछा बहिन तुम कौन हो? और इस समय तुम्हें क्या चाहिए? तब माता लक्ष्मी ने कहा -मैं एक गरीब औरत हूँ मेरी देख भाल करने वाला कोई नही, मैंने कई दिनो से खाना भी नही खाया मुझे कोई भी काम दे दो और मैं तुम्हारे घर का काम भी कर दिया करुँगी। 

बस मुझे अपने घर मैं एक कोने मै आसरा दे दो? माधव बहुत ही अच्छे दिल आदमी था उसे दया आ गई। लेकिन उसने कहा बहिन मैं तो बहुत ही गरीब हूँ मेरी कमाई से मेरे घर का खर्च मुस्किल से चलता है लेकिन अगर मेरी तीन की जगह चार बेटियाँ होती तो भी मैं ने ही गुजारा करना था। जैसा रुखा-सुखा हम खाते है उस मै खुश रह सकती हो तो बेटी अन्दर आ जाओ। माता लक्ष्मी को अपने झोपड़ी में शरण दे दी और माता लक्ष्मी तीन साल उस माधव के घर पर नौकरानी बन कर रही। जिस दिन माता लक्ष्मी माधव के घर आई थी उसी दिन से ही माधव को इतनी आमदनी हुयी उसने एक गाय खरीद ली। धीरे-धीरे माधव ने काफी जमीन खारीद ली और सब ने अच्छे -अच्छे कपडे़ भी बना लिये। और फिर एक बडा पक्का घर भी बनवा लिया बेटियो और बीबी ने गहने भी बना लिये।

माधव हमेशा सोचता था कि मुझे यह सब इस महिला के आने के बाद मिला है इस बेटी के रुप मे मेरी किस्मत बदल गई है। एक दिन माधव जब अपने खेतो से काम खत्म करके घर आया तो उस ने अपने घर के सामने द्वार पर एक देवी स्वरुप गहनो से सजी एक औरत को ध्यान से देख कर पहचान गया। यह तो मेरी मुहँ बोली बेटी यानि वही औरत है वह पहचान गया कि यह तो साक्षात माता लक्ष्मी है। माधव का पूरा परिवार बाहर आ गया और सब हैरान होकर माता लक्ष्मी को देख रहे थे। माधव बोला-माता हमें माफ करना हमने अंजाने आपसे घर और खेत का काम करवाया। माता यह कैसा अपराध हो गया है? माता हम सब को माफ कर दे। माता लक्ष्मी मुस्कुराई और बोली हे माधव तुम बहुत ही अच्छे और दयालु व्यक्त्ति हो तुम ने मुझे अपनी बेटी की तरह से रखा। इस के बदले मैं तुम्हे वरदान देती हूँ कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियो की और धन की कमी नही रहेगी। तुम्हे सारे सुख मिलेगे जिस के तुम हकदार हो और फिर माता अपने स्वामी के द्वारा भेजे रथ मे बैठ कर बैकुण्ठ चली गई। गुरुवार को भगवान विष्णु की उपासना बहुत फलदायी मानी गई है। अगर इस दिन भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप किया जाए तो निश्चय ही धन संबंधी हर पेरशानी दूर हो जाती है। 

ऊँ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ऊँ भूरिदा त्यसि श्रुतरू पुरूत्रा शूर वृत्रहन। आ नो भजस्व राधसि।।

हे लक्ष्मीपति भगवान विष्णु आप महादानी हो। आप एक सामान्य दानदाता ही नहीं बल्कि बड़े दानी है। इस संसार में कहा जाता है कि जो हर जगह से निराश हो गया हो आपके पास से कभी भी खाली हाथ नहीं जाता। आप उसकी इच्छा पूरी करते हो। हे प्रभु उसी तरह मुझे भी आर्थिक समस्या से मुक्ति दिलाओ।

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। 
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।। 
लक्ष्मीकान्तंकमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। 
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

भगवान विष्णु को जगतपालक कहा जाता है। वे पूरी दुनिया के पालनहार हैं इसलिए हमेशा पीले फूल व पीला वस्त्र उन्हें अर्पित करने चाहिए और इस मंत्र से उनका स्मरण करना चाहिए। इससे जीवन में सकारात्मक विचारों और घटनाओं का विकास होता है। भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा जिस घर में होती है वहाँ सुख और समृद्धि का भी वास होता है। 

हरि स्तुति

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता।।
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।।
जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा।।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा।
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।।
जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा।
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा।।
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा।।
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना।
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना।।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा।।
खुशी की प्राप्ति के लिए विष्णु जी के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। 

भगवान विष्णु के अवतार-Bhagwan Vishnu ke Avatars