विटामिन-बी (Vitamin-B, Vitamin B Complex)

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विटामिन-बी
(Vitamin-B, Vitamin B Complex) 

विटामिन बी कॉम्प्लेक्स पोषक तत्वों का एक समूह होता है। (Vitamin B complex is a group of nutrients) शरीर के लिए महत्वपूर्ण कार्यों को करने में अपनी भूमिका निभाता है। ये विटामिन विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में सीमित मात्रा में पाए जाते हैं। वे पोषक तत्व जिनमें सभी आठ प्रकार के विटामिन-बी होते हैं, उन्हें बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन कहा जाता है। (Vitamins) एक तरह के रसायन होते है। अगर खाने मे कोई (Vitamins) न लिया जाए तो इसकी कमी से अनेक बीमारिया हो सकती है। (Vitamin-B Complex) मे (8 Vitamin) होते है। पहले इनको एक ही विटामिन से जाना जाता था फिर बाद मे रिसर्च मे पाया गया की यह रसायनिक रूप से अलग अलग होते है। इन्हे विटामिन बी कॉम्पलेक्स कहा जाता है। 

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विटामिन-बी एक ऐसा मुख्य तत्व है जो शरीर के लिए जरूरी होता है। यह हमारी पाचन क्रिया को सही रूप से कार्य करने में सहायता करता है। जिससे हमे प्र्याप्त मात्रा में भूख लगती है और जो हम खाते है वह उचित रूप से शरीर को मिलता है। विटामिन-बी की कमी से विभिन्न प्रकार के रोग होने की संभावना हो जाती है। जैसे-हाथ-पैर सुन्न हो जाना। शरीर पर लाल निशान पड़ जाना, वजन घटना, नजर का कमजोर होना, शरीर में ढीलापन और कमजोरी आ जाना। विटामिन-बी हीमोग्लोबिन के निर्माण मे मदद करता है। यह विटामिन त्वचा को भी स्वस्थ रखता है।

इसका स्वाद नमकीन होता है। यह रंघिन होता है। इस विटामिन की कमी से कब्ज की शिकायत, चक्कर आना, आंखो मे अंधेरा छा जाना, चिड़चिड़ा हो जाना, काग्रता का न होना व झगड़ालू हो जाना जैसे लक्षण दिखाई देते है। विटामिन-बी गेहूँ, मूँगफली, हरे मटर, संतरे, खमीर, अंडे, हरी सब्जियाँ, चावल और अंकुर वाले बीजों मे पाया जाता है। यह विटामिन पीले रंग का होता है। यह विटामिन सूरज की रोशनी और खाने को अधिक पकाने से समाप्त हो जाता है। शरीर मे इस विटामिन की कमी से मुँह और होठ फटने लगते है। यह आंखो, नाक और जीभ को स्वस्थ रखने के लिया अति आवश्यक है। 

विटामिन-बी समूह विटामिन विभिन्न चयापचय (Metabolic) प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक घुलनशील विटामिन का एक संग्रह है। यह स्वाभाविक रूप से भोजन में और शरीर को ऊर्जा प्रदान करते है। लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने जैसे विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिए बहुत छोटी मात्रा में आवश्यक होते है। शरीर की तंत्रिका तंत्र का रखरखाव करते है। यह कोशिकाओं में नए डीएनए बनाते है। विटामिन-बी स्वस्थ-स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

विटामिन-बी शरीर में लंबे समय तक संग्रहीत नहीं कर सकता है इसलिए इसे प्रतिदिन प्राप्त करना चाहिए। थियामिन को Vitamin-B1 के रूप में भी जाना जाता है और Vitamin-B1 ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित करने में मदद करता है और तंत्रिका तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होता है। साथ ही हृदय और अन्य मांसपेशियों के उचित कार्य में  सहायता प्रदान करता है। विटामिन-बी1 को थायमिन के नाम से भी जाना जाता है। विटामिन बी1 खमीर, अनाज, सेम, नट्स और मांस सहित कई खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप में पाया जाता है। थायमिन को कभी-कभी एंटी-स्ट्रेस विटामिन से भी जाना जाता है। 

विटामिन-बी के प्रकार (Vitamin B Types & Names)

विटामिन-बी1 (थायामिन-Thiamine): विटामिन बी1 घुलनशील विटामिन है। (Vitamin B1 is a soluble vitamin) यह विटामिन पानी में घुलनशील होने के कारण रक्तप्रवाह के माध्यम शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचता है और शरीर द्वारा उपयोग नहीं किए जाने पर इसे मूत्र के माध्यम से बाहर कर दिया जाता है। थायमिन, शरीर में कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा के रूप में बदलने और ग्लूकोज चयापचय के लिए आवश्यक है और तंत्रिका, मांसपेशियों और हृदय संबंधी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। थायमिन का उपयोग विटामिन बी1 की कमी के लिए या अन्य रोगों की रोकथाम में किया जाता है। इसके अतिरिक्त थायमिन इंजेक्शन का उपयोग विटामिन बी1 की लंबे समय तक कमी के कारण उत्पन्न होने वाले बेरीबेरी रोग की स्थिति का इलाज करने के लिए भी किया जाता है। खाद्य पदार्थों को गर्म करने, पकाने और पानी में उबालने से उनमें उपस्थित थायमिन (विटामिन-बी1) नष्ट हो जाता है। क्योंकि विटामिन बी1 पानी में घुलनशील है इसलिए यह खाना पकाते समय पानी में घुल जाता है। यह हमारे द्वारा खाए गए खाने को पचाने और सेलुलर एनर्जी रिलीज करने में मदद करता है। यह शरीर से डीएनए और आरएनए का संश्लेषण कर नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखता है। हमारे इम्यून सिस्टम की रक्षा करता है। विटामिन बी1 की कमी से बेरीबेरी रोग हो जाता है। इसमें नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी हो जाती है, तनाव रहता है। थायमिन दाल, साबुत अनाज, गुड़, मूंगफली, फलों, ड्राई फ्रूट्स, गोभी, बीन्स, पालक, ब्रोकली, ब्रेड, दूध और मांस, मछली, अंडों से प्राप्त होता है।

विटामिन-बी2 (राइबोफ्लेविन-Riboflavin): राइबोफ्लेविन भोजन को अपघटित कर ऊर्जा उत्पन्न करने में मदद करता है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी कार्य करता है। यह पूरे शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बनाए रखता है, जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में कोई दिक्कत नहीं आती। त्वचा, आंखों और नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखता है। इसकी कमी से होंठ फटने लगते हैं, जीभ में जलन रहती है। राइबोप्लेविन दूध, पालक, ब्रोकली, मशरूम, मांस, मछली, अंडों से प्राप्त होता है।

विटामिन-बी3 (नियासिन-Niacin): यह विटामिन चयापचय, डीएनए उत्पादन और उसकी मरम्मत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। निकोटिनिक एसिड के रूप में नियासिन एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखकर हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी से पैलेग्रा बीमारी हो जाती है, जिसमे डायरिया, त्वचा में जलन, चिड़चिड़ापन, मानसिक तनाव रहता है। यह हरी सब्जियाँ, गेहूं, मूंगफली, दालें, दूध, मछली और अंडे से प्राप्त होता है।

विटामिन-बी5 (पैंटोथैनिक एसिड-Pantothenic Acid): अन्य विटामिन की तरह पैंटोथैनिक एसिड भी शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है। हार्मोन और कोलेस्ट्रॉल उत्पादन में भी अपना योगदान देता है। पैंटोथैनिक एसिड (विटामिन बी5) दाग-धब्बों से रहित स्वस्थ त्वचा के विकास में सहायक है। इसकी कमी से त्वचा संबंधी रोग हो जाते हैं, जिससे त्वचा में जलन, इचिंग और चुभन होती है। मुहांसों की समस्या हो जाती है। यह साबुत अनाज,  मसूर की दाल, काजू, मूंगफली, सोयाबीन, ब्राउन राइस, दलिया, ब्रोकली, आलू, बीन्स, टमाटर, दूध और दूध से बने पदार्थ, और मीट, चिकन, अंडे से प्राप्त होता है।

विटामिन-बी6 (पायरीडॉक्सीन-Pyridoxine): यह हमारे शरीर में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से एनर्जी स्टोर करने में मदद करता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद हीमोग्लोबिन को बनाने में मदद करता है, ताकि शरीर में ऑक्सीजन का संचालन आसानी से हो सके। विटामिन-बी6 रुमेटी गठिया में होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में सहायक है। विटामिन-बी6 की कमी से मानसिक तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन रहता है। यह आलू, गाजर, मीट, चिकन, मछली, ब्रेड, दलिया, ब्राउन राइस, अंडे, सोयाबीन, मूंगफली, दूध और दूध से बने पदार्थों से प्राप्त होता है।

विटामिन-बी7 (बायोटिन-Biotin): नाखून, बाल और त्वचा के स्वास्थ्य में मदद करने के कारण इसे सौंदर्य विटामिन के रूप में भी जाना जाता है। रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करके डायबिटीज के रोगियों के लिए मददगार होता है। इसकी कमी से त्वचा संबंधी रोग हो जाते हैं, जिसमें त्वचा में जलन, इचिंग और चुभन होती है। यह आलू,  पनीर, जौ, सोयाबीन, फूलगोभी, स्ट्रॉबेरी, मांस, मीट, अंडे इत्यादि में पाया जाता है।

विटामिन-बी9 (फोलेट-Folate): इसे फोलेट भी कहा जाता है। यह डीएनए संश्लेषण, विटामिन बी12 के साथ मिलकर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और एमिनो एसिड के चयापचय के लिए आवश्यक है। यह गर्भ में पल रहे बच्चे के न्यूरल ट्यूब दोष के जोखिम को कम करने में सहायक है। यह बच्चे की रीढ़ की हड्डी और नर्वस सिस्टम के गठन के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी कमी से एनीमिया हो जाता है। इससे छोटे बच्चों में न्यूरोजिकल डिसॉर्डर की समस्या हो जाती है। ब्रोकली, स्प्राउट्स, पालक, बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, चना, मटर, चुकंदर, खजूर, ब्रेड, दूध अन्य दूध से बने इत्यादि पदार्थ।

विटामिन-बी12 (कोबामिनिन-Cobalamin): सायनोकोबालामिन-Cyanocobalamin सभी विटामिनों में सबसे महत्वपूर्ण है। विटामिन-बी 12 न्यूरोलॉजिकल फंक्शन, डीएनए उत्पादन और लाल रक्त कोशिकाओं के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए विटामिन जरूरी हैं -Vitamins are essential for healthy health in hindi)