विटामिन डी की आवश्यकता- Need of Vitamin-D

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विटामिन-डी 
(Vitamin-D) 

स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम और प्रोटीन की तरह विटामिन-डी भी अति महत्वपूर्ण है। (Like Calcium and Protein, Vitamin-D is also very important for healthy health) यह वसा में घुलनशील होता है और हमारी आंतों से कैल्शियम को सोखकर हड्डियों तक पहुंचाने का काम करता है। विटामिन-डी एक पोषक तत्व के साथ-साथ शरीर में बनने वाला हार्मोन भी है। यह हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह शरीर में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फेट आदि को अवशोषित करने में मदद करता है। इसकी कमी से शरीर में कई प्रकार की बीमारियाँ होने की संभावना होती है। 

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विटामिन-डी  स्वस्थ-स्वास्थ्य और हड्डियों को मजबूत रखने के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह एक महत्वपूर्ण कारक है मांसपेशियों, दिल, फेफड़ों और मस्तिष्क के साथ-साथ संक्रमण रोगों की संभावना कम हो जाती है। विटामिन-डी को सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश की प्रतिक्रिया में शरीर द्वारा उत्पन्न किया जाता है। यह एक घुलनशील विटामिन के समूह में आता है। यह वसा कोशिकाओं में संचित रहता है और लगातार कैल्शियम के चयापचय (मेटाबोलिज्म) और हड्डियों के निर्माण में उपयोगी होता है। यह शरीर में कैल्शियम तथा फॉस्फेट के अवशोषण को बढ़ाता है। 

विटामिन-डी (Vitamin-D Is Two Types)

विटामिन-डी दो प्रकार का होता है (Vitamin-D2 & Vitamin-D3) विटामिन D2 को अर्गोकेल्सीफेरोल (Ergocalciferol) भी कहते है। विटामिन-D3 को कोलकेल्सीफेरोल(Cholecalciferol) भी कहते है। जब हम विटामिन-डी को सूरज की रोशनी, भोजन या दवाइयों के रूप में लेते है तब यह शरीर में हॉर्मोन में बदल जाता है। इस हॉर्मोन को सक्रिय विटामिन-डी या कैल्सीट्रिओल(Calcitriol) कहते है। शरीर को लगभग 90 प्रतिशत विटामिन-डी की जरुरत होती है। जब हमारी त्वचा को सूरज की रोशनी मिलती है तो हमारा शरीर (Cholecalciferol)  नामक पदार्थ पैदा करता है। फिर यह यकृत (Liver) और गुर्दे (Kidneys) की मदद से (Calcidiol) एवं (Calcitriol) में परिवर्तित हो जाता है। सूरज की अल्ट्रावायोलेट बी किरणें जब हमारे शरीर पर पड़ती हैं, तो हमारा शरीर अंदर मौजूद कोलेस्ट्रॉल से विटामिन डी बना लेता है। 

विटामिन-डी के कार्य/फायदे (Vitamin-D Benefits)

1) विटामिन-डी लीवर को मजबूत करता है। जिससे संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है यानी सर्दी, फ्लू और निमोनिया से सुरक्षा प्रदान करता है। 

2) विटामिन-डी विकास में भी सहायक होता है।

3) विटामिन-डी मांसपेशियों को सही से काम करने में सहायता करता है। 

4) विटामिन-डी डिप्रेशन से बचाता है।

5) विटामिन-डी उम्र बढ़ने से आने वाले बदलावों से भी हमारी रक्षा करता है। 

6) विटामिन-डी  मस्तिष्क में वृद्धि और कैंसर विरोधी है। 

7) विटामिन-डी घाव भरने में भी सहायक है। 

8) विटामिन-डी कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन/दिल को स्वस्थ और परिसंचरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। 

9) विटामिन-डी श्वसन प्रणाली, फेफड़ों को स्वस्थ रखता है। 

10) विटामिन-डी फ्रैक्चर, उच्च रक्तचाप आदि को कम करता है। 

11) विटामिन-डी रक्त, हड्डियों और आंत में कैल्शियम का प्रबंधन करता है। 

12) विटामिन-डी शरीर की टी-कोशिकाओं की क्रियाविधि में वृद्धि करता है, जो किसी भी बाहरी संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं। 

विटामिन-डी की कमी से नुकसान (Due to Vitamin-D Deficiency)

» विटामिन-डी की कमी से रिकेट्स की बीमारी की सम्भावना होती है। इस बीमारी में विटामिन-डी की कमी के कारण बच्चों के पैर सीधे ना हो कर आर्क शेप में मुड़ जाते हैं। हड्डियों में दर्द जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। Cardiovascular disease की वजह से मृत्यु की सम्भावना बढ़ जाती है।

» प्रेगनेंसी में विटामिन-डी की कमी होने सम्भावना अधिक बढ़ जाती है। 

» विटामिन-डी की कमी से जोड़ों में दर्द होने की संभावना होती है। 

» विटामिन-डी की कमी से हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। 

» विटामिन डी की कमी से बाल झड़ने के साथ सफेद होने लगते है। 

» विटामिन-डी की कमी से बार-बार इन्फेक्शन होने की संभावना होती है। 

» विटामिन-डी की कमी से सुबह उठते ही बेचैनी और घबराहट हो सकती है। 

» विटामिन-डी की कमी से बिना अधिक मेहनत किये थकान होने की संभावना हो सकती है। 

» विटामिन-डी की कमी से दिन में जरूरत से ज्यादा नींद आना। 

» विटामिन-डी की कमी से सिर से पसीना आना।

» विटामिन-डी की कमी से मांशपेशियां कमजोर होने लगती है।

» विटामिन-डी की कमी से मांशपेशियां कमजोर होने लगती है। 

विटामिन-डी नॉर्मल रेंज (Vitamin-D Normal Range)

IOM GUIDELINES
कमी 12 ng/mL से कम
अर्याप्त 2 से 20 ng/mL
पर्याप्त 20 ng/mLसे ऊपर
अत्याधिक 60 ng/mL से ऊपर

ENDOCRINE SOCIETY GUIDELINES

कमी 20 ng/mL से कम
अर्याप्त 21 से 29 ng/mL
पर्याप्त 30 से 60 ng/mL

विटामिन-डी की पूर्ति (Removing Vitamin-D Deficiency)

1) अंकुरित अनाज और सलाद का सुबह ब्रेकफास्ट में सेवन करना चाहिए। अंकुरित अनाज में चना, मूंगदाल, बादाम के साथ प्याज, सेब और लहसून का सेवन कर सकते है।

2) विटामिन-डी की कमी से बचाने के लिए हरी सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए। हरी सब्जियों में पालक, मटर की फली इत्यादि।

3) विटामिन-डी कमी दूर करने के लिए डेली डाइट में अंडा जरूर शामिल करना चाहिए। अंडे में विटामिन डी की मात्रा पायी जाती है। कोलेस्ट्रॉल के खतरे से बचने के लिए अंडे के पीले भाग को निकाल कर लेना चहिए।

4) शाकाहारी फूड में विटामिन डी की मात्रा बहुत कम पायी जाती है। विटामिन-डी के लिए चिकन और मछली का सेवन करना चाहिए।

5) फूड के तौर पर मछली के तेल को ही विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। 

6) शाकाहारी लोगों के लिए एवोकाडो सबसे अच्छा फल है। एवोकाडो में विटामिन डी की मात्रा पायी जाती है इसे नियमित खाने में शामिल करें।

7) डेयरी प्रोडक्ट्स से भी विटामिन-डी की कमी पूरी हो सकती है। अपनी डाइट में दूध को शामिल करें।

8) विटामिन-डी की कमी होने पर गाजर खाना भी फायदेमंद होता है। गाजर का जूस पिएं। 

9) कॉड लिवर में भी विटामिन डी भरपूर मात्रा होता है। इससे हड्डियों की कमजोरी दूर होती है। 

10) मशरूम में भी पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी होता है। 

11) सोया फूड जैसे टोफू और सोयाबीन की बड़डियां खाने से भी  विटामिन डी की कमी पूरी होती है। 

स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए विटामिन जरूरी हैं -Vitamins are essential for healthy health in hindi)