इस मास सूर्यदेव की पूजा अति फलदायी होती है
(Importance of Surya Pooja in Paush Maas in hindi)
पौष मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है, इस कारण इस माह को पौष कहा जाता है। पौष माह में सूर्य उपासना का महत्व कई गुना बढ़ जाता हैै, इस मास में सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति सालभर स्वस्थ और प्रसन्न रहता है। पौष माह में भगवान सूर्य की उपासना से आयु में वृद्धि होती है और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। पौष मास आध्यात्मिक ऊर्जा जुटाने का अवसर प्रदान करता है। इस माह नमक का सेवन कम करना चाहिए। चीनी की जगह गुड़ का सेवन करें। इस माह में शुक्ल पक्ष में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। पौष कृष्ण पक्ष एकादशी को पद्म पुराण में सफला एकादशी कहा गया है। इस व्रत से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। पौष शुक्ल एकादशी पुत्रदा एकादशी कहलाती है। पौष शुक्ल पक्ष की सप्तमी मार्तण्ड सप्तमी कहलाती है। मार्तण्ड सूर्य का ही एक नाम है। पौष पूर्णिमा को धार्मिक कार्यों, दान के लिए शुभ माना जाता है। पौष अमावस्या का भी बहुत महत्व माना जाता है। सूर्यदेव को ग्रहों का राजा माना गया है जिस कारण ऐसा माना गया है कि इनकी कृपा कुंडली के सभी ग्रह दोषों से छुटकारा मिलता है। वहीं धर्म ग्रंथों में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना गया है। सूर्य की रोशनी से ही जीवन संभव है इसलिए पंचदेवों में इनकी पूजा भी अनिवार्य रूप से की जाती है।
- पौष मास में सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें।
- पौष मास में तांबे के बर्तन में जल लेकर उसमें लाल चंदन और लाल फूल डालें। फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- ऊँ श्री सूर्य देवाय नमः का जाप करें।
- पौष मास में रविवार को फलाहार करके व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। इस दिन नमक का सेवन न करें। सूर्यदेव को तिल और खिचड़ी का भोग लगाएं।
- पौष मास में गर्म वस्त्रों का दान उत्तम होता है।
- पौष मास में लाल और पीले रंग के वस्त्र भाग्य में वृद्धि करते हैं।
- पौष मास में कर्पूर की सुगंध का प्रयोग करने से स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- पौष मास में हल्के लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
- पौष मास में रविवार के दिन सुबह तांबे के बर्तन, गुड़ और लाल वस्त्र का दान करना चाहिए।
- पौष मास में प्रतिदिन माता-पिता के चरण स्पर्श करें।
- पौष मास में मेवे का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस मास में चीनी के बजाय गुड़ का सेवन करना चाहिए।
- पौष मास में में अदरक और लौंग का सेवन बहुत लाभदायक होता है।
- पौष मास में तेल और घी का ज्यादा प्रयोग करना उत्तम नहीं होता है।
- पौष माह में मेवे और मास-मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- स्कंदपुराण के अनुसार, सूर्यदेव को जल चढ़ाए बिना भोजन करना पाप कर्म के समान माना जाता है।
- सूर्यदेव की माता अदिति व पिता महर्षि कश्यप हैं। अदिति का पुत्र होने से इन्हें आदित्य भी कहते हैं।
- सूर्यदेव का विवाह देवशिल्पी विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से हुआ है। यजुर्वेद ने सूर्य को भगवान का नेत्र कहा गया है।
- सूर्यदेव व संज्ञा के दो पुत्र व एक पुत्री बताए गए हैं, ये हैं वैवस्वत मनु व यमराज तथा यमुना।
- सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण संज्ञा ने अपनी छाया उनके पास छोड़ दी और स्वयं तप करने लगीं।
- सूर्यदेव व संज्ञा की छाया से शनिदेव, सावर्णि मनु और तपती नामक कन्या हुई। सूर्य व शनि शत्रु माने जाते हैं।
- त्रेतायुग में कपिराज सुग्रीव और द्वापर युग में महारथी कर्ण भगवान सूर्य के अंश से ही उत्पन्न हुए थे।
- पक्षीराज गरुड़ के भाई अरुण सूर्यदेव का रथ चलाते हैं। इस रथ में 7 घोड़े हैं जो 7 दिनों का प्रतीक हैं।
- सूर्यदेव की पूजा 12 महीनों में अलग-अलग नामों से की जाती है। गायत्री मंत्र में भी सूर्य की उपासना ही की गई है।
- सूर्यदेव को पता चला कि संज्ञा घोड़ी के रूप में तप कर रही है तो वे भी उसी रूप में उनके पास पहुंचे। इसी से अश्विनकुमारों का जन्म हुआ।
- ऋग्वेद के अनुसार, सूर्यदेव में पापों से मुक्ति दिलाने, रोगों का नाश करने, आयु और सुख में वृद्धि करने व गरीबी दूर करने की अपार शक्ति है।
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