धन प्राप्ति के साथ अकाल मृत्यु का भय दूर करता है
कदाचित् यमराज ने अपने दूतों से पूछा क्या कभी प्राणियों के प्राण लेते समय तुम्हें उन पर दया नही आयी? यमदूत कुछ समय के लिए संकोच में पड़ गये लेकिन उन्होंने उत्तर दिया नही महाराज! हम सब आपकी आज्ञा का पालन करते है दया भाव का कोई मतलब नही। यमराज को उन पर संकोच हुआ दुबारा कहा निःकोच कहो तभी यमदूतों ने डरते-डरते कहा हां महाराज एक ऐसा घटना थी जिसने हमारे दिल को भी दुःखी कर दिया था जिसके कारण हमारा दिल कांप उठा था। यमराज ने पूछा वह कौन सी घटना थी मुझे बताओ तब दूत बोले महाराज हंस नाम का राजा एक दिन शिकार के लिए गया और जंगल में अपने साथियों से बिछड़ गया और इस कारण दूसरे राज्य की सीमा में पहुंच गया। वहां के राजा हेमा ने राजा हंस का बड़ा आदर-सम्मान किया। इसी दिन राजा हेमा की पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया। ज्योतिषियों के नक्षत्र गणना के अनुसार बताया गया कि इस बालक की मृत्यु विवाह के चार दिन बाद हो जायेगी। इसलिए राजा की आज्ञा के अनुसार बालक को यमुना के तट पर एक ब्रहमचारी के रूप में रख गया उस तक स्त्रियों की परछाई भी न पहुंचने दी गई। विधाता के समय अनुसार एक दिन राजा हंस की बेटी यमुना तट पर पहुंच गई और उसने उस ब्रहमचारी बालक से गंधर्व विवाह कर लिया। जब चौथा दिन बीत जाने के बाद राज कुमार की मृत्यु हो गई उसकी पत्नी की करूणा विलाप सुनकर हमारा दिल कांप गया।
धन प्राप्ति के लिए उपाय
ऐसी सुन्दर जेोड़ी हमने कभी नही देखी थी। वे कामदेव और रति के समान थे। उस व्यक्ति के प्राण लेते समय हमारे आंसू निकलते ही जा रहे थे। यमराज ने ज़ोर से कहा क्या किया जाए? विधाता की मर्यादा हेतू हमें ना चाहते हुये भी ऐसा काम करना पड़ा। तब यम दूत ने पूछा महाराज अकालमृत्यु से बचने का कोई उपाय नही है? तब यमराज ने अकालमृत्यु से बचने का उपाय बताया कि धनतेरस के पूजन एवं दीपदान को विधिपूर्वक करने से अकालमृत्यु से छुटकारा मिलता है। जिस घर में यह पूजन होता है वहां अकाल मृत्यु की छाया कभी नही होती। इस घटना की वजह से इस दिन भगवान धंवंतरि पूजन सहित दीपदान की प्रथा का शुभारम्भ हुआ। इस दिन सांयकाल के बाद घर के बाहर मुख्य द्वार पर एक वर्तन में अन्न रखकर उसके उपर यमराज की फोटो का दक्षिण की ओर मुहं करके दीप जलान चाहिए। दीप जलाते समय इस मंत्र मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
रात्रि को पूजा स्थल में जल, रोली, चावल, फूल, गुड़, नैवद्य आदि सहित चार बत्तियां वाला दीप जलाकर यमराज का पूजन करना चाहिए। साफ मिट्टी को दूध में भिगोकर सेमर वृक्ष में अर्पित करें इसको तीन बार अपने शरीर के ऊपर घुमाये के बाद कुकुम का टीका लगाऐ और दीप जलाये। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
धनतेरस की परम्परा (Tradition Of Dhanteras)
धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परम्परा है ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरि हाथ में अमृत का क्लश लेकर उत्पन्न हुये थे इस कलश के लिए देवताओं और दानवों में भारी युद्ध हुआ था। इस क्लश में अमृत था और इसी से देवताओं को अमरत्व की प्राप्ति हुई। इसी दिन से धनतेरस का प्रतीक स्वरूप वर्तन खरीदने की पररम्परा चली आ रही है। इस दिन बर्तन की भी पूजा की जाती है और सुख-समृद्धि के लिए पूजा की जाती है। भगवान धंवन्तरि की फोटो पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली आदि चढ़ाए। चांदी के बर्तन या किसी अन्य वर्तन में खीर का भोग लगाना चाहिए। भगवान धंवन्तरि को मौली, शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राहमी, पान, लौंग, सुपारी अर्पित करें। समस्त रोगों के निवारण के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें।
भगवान विष्णु के अवतार-Bhagwan Vishnu ke Avatars