पीने के पानी की शुद्धता का चयन- Selection of purity of drinking water

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पीने के पानी की शुद्धता का चयन
(Purity of drinking water)

जहां एक तरफ एशिया और यूरोप के कई देश RO पर प्रतिबंध लगा चुके हैं वहीं भारत में RO की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कई विदेशी कंपनियों ने यहां पर अपना बड़ा बाजार बना लिया वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 टीडीएस तक सहन करने की छमता होती है। जब RO पानी फिल्टर करता है तो वह इस पानी में से बैक्टीरिया के साथ-साथ मिनरल्स और टीडीएस (Total Dissolved Solids) को भी पूरी तरह से निकाल देता है। जिसका अर्थ है पानी में घुले सूक्ष्म पदार्थ। इनमें सोडियम, फ्लोराइड, आयरन, क्लोराइड, कैल्शियम, मैग्निशियम, नाइट्रेट जैसे पदार्थ होते हैं, जो कि मानव शरीर के लिए आवश्यक हैं। पानी फिल्टर करने में पानी में उपस्थित जरूरी कैल्शियम और मैग्नीशियम 90 से 99 तक नष्ट हो जाते हैं। इस तरह का पानी लगातार लंबे समय तक पीने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके लगातार सेवन से आपको हृदय संबंधी विकार, थकान महसूस होना, मानसिक कमजोरी और मांसपेशियों में ऐठन या सिरदर्द जैसे कई रोग हो सकते हैं।

जहां एक तरफ एशिया और यूरोप के कई देश RO पर प्रतिबंध लगा चुके हैं वहीं भारत में RO की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कई विदेशी कंपनियों ने यहां पर अपना बड़ा बाजार बना लिया वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 टीडीएस तक सहन करने की छमता होती है। जब RO पानी फिल्टर करता है तो वह इस पानी में से बैक्टीरिया के साथ-साथ मिनरल्स और टीडीएस (Total Dissolved Solids) को भी पूरी तरह से निकाल देता है। जिसका अर्थ है पानी में घुले सूक्ष्म पदार्थ। इनमें सोडियम, फ्लोराइड, आयरन, क्लोराइड, कैल्शियम, मैग्निशियम, नाइट्रेट जैसे पदार्थ होते हैं, जो कि मानव शरीर के लिए आवश्यक हैं। पानी फिल्टर करने में पानी में उपस्थित जरूरी कैल्शियम और मैग्नीशियम 90 से 99 तक नष्ट हो जाते हैं। इस तरह का पानी लगातार लंबे समय तक पीने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके लगातार सेवन से आपको हृदय संबंधी विकार, थकान महसूस होना, मानसिक कमजोरी और मांसपेशियों में ऐठन या सिरदर्द जैसे कई रोग हो सकते हैं।सक्षमबनो इन हिन्दी में, sakshambano image, sakshambano ka ddeshya in hindi, sakshambano ke barein mein in hindi, sakshambano ki pahchan in hindi, apne aap sakshambano in hindi, sakshambano blogger in hindi,  sakshambano  png, sakshambano pdf in hindi, sakshambano photo, Ayurveda Lifestyle keep away from diseases in hindi, sakshambano in hindi, sakshambano hum sab in hindi, sakshambano website, adopt ayurveda lifestyle in hindi, to get rid of all problems in hindi, Vitamins are essential for healthy health in hindi in hindi, Pani me kitna TDS hona chahiye, TDS in hindi, TDS ka matlab hindi, pani ki pahchan in hindi, ro kya hai in hindi, tds kya hai hindi, tds ke barein mein hindi, what is tds in hindi, tds meaning hindi,  tds kitna hona chahiye hindi, td ki value hindi, tds kaise pata karte hai hindi, pani ki shudhta hindi, pani mein tds hona chahiye hindi, tds ki jankari hindi, Pani me kitna TDS hona chahiye hindi, pani mein kitna tds hona chahiye hindi, pani ka ph kitna hona chahiye hindi, pani ka ph maan hindi,

  Pani mein kitna TDS hona chahiye  

पानी में मिट्टी में उपस्थित खनिज घुले रहते हैं। भूमिगत जल में ये छन जाते हैं। सतह के पानी में खनिज उस मिट्टी में रहते हैं जिस पर पानी का प्रवाह होता है।  पानी में घुले खनिज को आम तौर पर कुल घुलित ठोस, टीडीएस कहा जाता है। टीडीएस को मिग्रा/लीटर एक लीटर पानी में घुले ठोस पदार्थ का भार होता है। दूसरी ओर पीपीएम १० लाख समान भार वाले द्रव में घुले पदार्थ का भार होता है (मिलीग्राम प्रति किलोग्राम होता है) टीडीएस में पीपीएम को जल सघनता से गुणा करने पर एमजी/लीटर में टीडीएस निकाली जाती है। 

पीपीएम में टीडीएस के सही निर्धारण में पानी के तापमान का भी ध्यान रखना होता है इसमें घुले पदार्थों की सघनता का तामपान से भी संबंध होता है। पानी में खारापन कैल्शियम, मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्शियम और मैग्नीशियम सल्फेट के कारण होता है। कम मात्रा के बावजूद कुछ घुले हुए ठोस पदार्थ खतरनाक होते हैं। मसलन आर्सेनिक, फ्लोराइड और नाइट्रेट। पानी में इन पदार्थों की स्वीकृत स्तर के कुछ तय मानक हैं। फ्लोराइड और आर्सेनिक जैसे नुकसानदायक रसायनों को छोड़ दिया जाए तो पीने के पानी में कुछ मात्रा में खनिज रहने चाहिए लेकिन इनकी मात्रा जरूरत से अधिक न हो।

बोतलबंद पानी (Bottled Water): मिनरल वाटर के नाम पर बेचे जाने वाले बोतलबंद पानी के बोतलों को बनाने के दौरान एक खास रसायन पैथलेट्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल बोतलों को मुलायम बनाने के लिए किया जाता है। इस रसायन का प्रयोग सौंदर्य, इत्र, खिलौनों आदि के निर्माण में किया जाता है। इसकी वजह से व्यक्ति की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। बोतलबंद पानी के जरिए यह रसायन लोगों के शरीर के अंदर पहुंच रहा है। अध्ययनों में यह भी बताया गया है कि चलती कार में बोतलबंद पानी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि कार में बोतल खोलने पर रासायनिक प्रतिक्रियाएं काफी तेजी से होती हैं और पानी अधिक खतरनाक हो जाता है। बोतल बनाने में एंटीमनी नाम के रसायन का भी इस्तेमाल किया जाता है। बोतलबंद पानी जितना पुराना होता जाता है उसमें एंटीमनी की मात्रा उतनी ही बढ़ती जाती है। अगर यह रसायन किसी व्यक्ति की शरीर में जाता है तो उसे जी मचलना, उल्टी और डायरिया जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 

पानी शुद्ध होता है (Water is pure): तुलसी के पत्ते पानी में डालकर रखें, तुलसी का पौधा जहाँ भी होता है उसके आसपास का 600 फुट का क्षेत्र उससे प्रभावित होता है जिससे मलेरिया, प्लेग जैसे कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इस पानी को ताम्बे के बर्तन में भरकर रखें। इस पानी को ट्रांसपेरेंट बर्तन में धुप में रखें जिससे पानी में क्रिस्टल्स बनेंगे और पानी की गुणवत्ता बढ़ जाएगी।

टीडीएस के मानक (TDS standards): भारत में बीआईएस 10500-1991 मानक लागू हैं। यह मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के मानक के आधार पर बना है। लेकिन इसमें समय-समय पर काफी संसोधन किए गए हैं। इसका कारण है कि हमारे यहां आपूर्ति किया जाने वाले पीने का पानी इतना दूषित हो गया है कि इसमें टीडीएस TDS कठोरता, क्लोराइड जैसे पदार्थों की मात्रा तय मानक से बहुत अधिक हो चुकी है। ऐसे में इनकी उपस्थिति की स्वीकार्य सीमा बढ़ाई गई।

पीने के पानी में कितना TDS होना चाहिए (How much TDS should there be in drinking water): स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए शरीर में 60 से 70 प्रतिशत पानी होना चाहिए पानी  शरीर के प्रत्येक अंग हड्डियो में भी होता है। पानी के बिना जीवित नहीं रहा जा सकता है। पानी की मदद से शरीर से जहरीले पदार्थ पसीने या पेशाब के द्वारा बहार निकलते है। टीडीएस का उपयोग पानी की शुद्धता को जांचने के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से पता लगाया जाता है कि पानी शुद्ध है या नहीं और पीने योग्य है या नहीं।पानी एक अच्छा विलायक होता है और इसमें गन्दगी भी आसानी से घुल जाती है। शुद्ध पानी को यूनिवर्सल सॉलवेंट कहा जाता है। ऐसा पानी बेस्वाद, बेरंग और बिना किसी गंध का होता है। टीडीएस को एमजी प्रति इकाई मात्रा (मिलीग्राम/लीटर) की यूनिट्स में लिखा जाता है। 500 ppm (parts per million) पानी पीने योग्य है लेकिन इस टीडीएस वैल्यू को कठोर माना जाता है। 300 टीडीएस से कम लेवल वाला पानी स्वाद में अच्छा होता है। 

स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए विटामिन जरूरी हैं -Vitamins are essential for healthy health in hindi)