तंत्रिका तंत्र वह भाग जो सम्पूर्ण शरीर तथा स्वयं तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण रखता है, केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र कहलाता है। (The part of the nervous system that controls the entire body and the nervous system itself is called the central nervous system) मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु दोनों मिलकर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की स्थापना करते हैं। मस्तिष्क मेरुरज्जु का ही बढ़ा हुआ भाग है। तंत्रिका तत्र शरीर का वह तंत्र जो सोचने समझने तथा किसी चीज को याद रखने के साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों में संतुलन स्थापित करने का कार्य करता है। तंत्रिका तंत्र तंत्रिकाओं, मस्तिष्क, मेरुरज्जु एवं तंत्रिका कोशिकाओं का बना होता है। तंत्रिकीय नियंत्रण का कार्य मुख्यतया मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु के द्वारा किया जाता है। तंत्रिका तंत्र विभिन्न अंगों को संचालित एवं नियंत्रित करता है। यह समस्त मानसिक कायों का नियंत्रण करता है। इससे प्राणी को वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी प्राप्त होती तथा एककोशिकीय प्राणियों जैसे अमीबा इत्यादि में तन्त्रिका तन्त्र नहीं पाया जाता है। हाइड्रा, प्लेनेरिया, तिलचट्टा आदि बहुकोशिकीय प्राणियों में तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है।
मस्तिष्क मानव शरीर का केन्द्रीय अंग है यह हर गतिविधि पर नियंत्रण तंत्र की तरह कार्य करता है। यह शरीर के संतुलन, प्रमुख अनैच्छिक अंगों के कार्य, तापमान नियंत्रण, भूख एवं प्यास, परिवहन, लय, अनेक अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की क्रियाएँ और मानव व्यवहार का नियंत्रण करता है। यह देखने, सुनने, बोलने की प्रक्रिया, याददाश्त, कुशाग्रता, भावनाओं और विचारों का भी स्थल है। इस प्रकार मस्तिष्क सम्पूर्ण शरीर तथा स्वयं तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण कक्ष है। मानव का मस्तिष्क, मस्तिष्ककोश या क्रेनियम के अंदर अच्छी तरह सुरक्षित रहता है। क्रेनियम मस्तिष्क को बाहरी आघातों से बचाता है। मानव मस्तिष्क का औसत भार 1400 ग्राम होता है। इसके चारों ओर मेनिनजेज नामक एक आवरण पाया जाता है। यह आवरण तीन स्तरों का बना होता है। इस आवरण की सबसे बाहरी परत को ड्यूरामेटर, मध्य परत को अरेकनॉइड तथा सबसे अंदर की परत को पायामेटर कहते हैं। मेनिनजेज कोमल मस्तिष्क को बाहरी आघातों तथा दबाव से बचाता है। मेनिनजेज तथा मस्तिष्क के बीच सेरीब्रोस्पाइनल द्रव भरा रहता है। मस्तिष्क की गुहा भी इसी द्रव्य से भरी रहती है। सेरोब्रोस्पाइनल द्रव मस्तिष्क को बाहरी आघातों से सुरक्षित रखने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को नम बनाए रखता है। मानव का मस्तिष्क अन्य कशेरुकों की अपेक्षा ज्यादा जटिल और विकसित होता है। इसका औसत आयतन लगभग 1650 उस होता है। मानव मस्तिष्क को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है।
अग्रमस्तिष्क (Midbrain or Mesencephalon): यह दो भागों में बनता होता है प्रमस्तिष्क यह मस्तिष्क के शीर्ष, पार्श्व तथा पश्च भागों को ढंके रहता है। यह मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग है। यह सम्पूर्ण मस्तिष्क का लगभग दो तिहाई हिस्सा होता है। यह एक अनुदैर्घ्य खाँच द्वारा दाएँ एवं बाएँ भागों में बँटा होता है, जिन्हें प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध कहते हैं। दोनों प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध तंत्रिका ऊतकों से बना कॉर्पस कैलोसम नमक रचना के द्वारा एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। गोलार्द्ध में अनेक अनियमिताकार उभरी हुई रचनाएँ होती हैं जिन्हें गाइरस कहते हैं। दो गाइरस के बीच अवनमन वाले स्थान को सल्कस कहते हैं। इसके कारण प्रमस्तिष्क वल्कुट का बहरी क्षेत्र बढ़ जाता है। कार्टेक्स, सेरीब्रम का मोटा धूसर आवरण है जिस पर भिन-भिन केन्द्र होते हैं जो अनेक शारीरिक क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वयन ठीक प्रकार से करते हैं। यह बुद्धि और चतुराई का केन्द्र है। मानव में किसी बात को सोचने-समझने की शक्ति, स्मरण शक्ति, किसी कार्य को करने की प्रेरणा, घृणा, प्रेम, भय, हर्ष, कष्ट के अनुभव जैसी क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय सेरीब्रम द्वारा ही होता है। यह मस्तिष्क के अन्य भागों के कार्यों पर भी नियंत्रण रखता है। जिस व्यक्ति में सेरीब्रम औसत से छोटा होता है तथा गाइरस एवं सल्कस कम विकसित होते हैं, वह व्यक्ति मन्द बुद्धि का होता है। डाइएनसेफलॉन यह अग्रमस्तिष्क का एक भाग है जो प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध के द्वारा ढंका होता है। यह अधिक या कम ताप के आभास तथा दर्द व रोने जैसी क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
मेरुरज्जु (Spinal Cord): मेडुला ऑब्लांगेटा का पिछला भाग मेरुरज्जु बनाता है। मेरुरज्जु का अंतिम सिरा एक पतले सूत्र के रूप में होता है। मेरुरज्जु के चारों ओर भी ड्यूरोमेटर, ऑक्नायड और पॉयमेटर का बना होता है। मेरुरज्जु बेलनाकार खोखली तथा पृष्ठ एवं प्रतिपृष्ठ तल पर चपटी होती है। इसकी दोनों सतहों पर एक-एक खाँच पायी जाती है। मेरुरज्जु के मध्य एक सँकरी नाल पायी जाती है जिसे केन्द्रीय नाल कहते हैं। केन्द्रीय नाल में सेरिब्रोस्पाइनल द्रव भरा रहता है। केन्द्रीय नाल के चारों ओर मेरुरज्जु का मोटा भाग दो भागों में बँटा होता है। भीतरी स्तर को धूसर पदार्थ तथा बाहरी स्तर को श्वेत पदार्थ कहते हैं। धूसर पदार्थ तंत्रिका कोशिकाओं उनके डेन्ड्रान्स तथा न्यूरोग्लिया प्रबद्धों का बना होता है जबकि श्वेत पदार्थ मेड्युलेटेड तंत्रिका तन्तुओं और न्यूरोग्लिया प्रवद्धों का बना होता है। मेरुरज्जु परिधीय तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु से निकलने वाली तंत्रिकाओं का बना होता है, जिन्हें क्रमशः कपालीय तंत्रिकाएँ एवं मेरुरज्जु तंत्रिकाएँ कहते हैं। मनुष्य में 12 जोड़ी कपालीय तंत्रिकाएँ एवं 31 जोड़ी मेरुरज्जु तंत्रिकाएँ होती हैं।
संकेत देता है कमजोर नर्वस सिस्टम (Indicates a weak Nervous System)
जब नर्वस सिस्टम डैमेज होने लगता है तो ऐसे में पैरालिसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। (When the nervous system begins to damage, there is an increased risk of paralysis) शरीर का नर्व सिस्टम सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है। शरीर में जब कोई परेशानी होने लगती है तो शरीर का नर्व सिस्टम फेल होने लगता है। शरीर का कोई भी मूवमेंट नर्व सिस्टम पर ही आधारित होता है। अगर आपको दर्द होता है तो यह नर्व सिस्टम की वजह से होता है। दिमाग को कोई भी संकेत मिलता है तो वह नर्व सिस्टम के माध्याम से ही संभव होता है। जब नर्व सिस्टम सही प्रकार से काम नही करता तो कई परेशानियां होने लगती है।
कमजोर नर्वस सिस्टम से शरीर में कंपन (Body tremors from weak nervous system): जब नर्वस सिस्टम डैमेज होने लगता है तो ऐसे में पैरालिसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर पैरालिसिस जितनी गंभीर स्थिति पैदा नहीं होती तो हाथ पैरों में धीरे-धीरे सूनापन आने लगता है।
कमजोर नर्वस सिस्टम से चलने में परेशानी (Trouble walking from a weak nervous system): जब लगता है कि चलते समय बहुत ज्यादा लड़खड़ाते हैं और बोलते समय बहुत ज्यादा हकलाने लगे हैं तो यह भी नर्व डैमेज का एक संकेत हो सकता है। इस कारण दिमाग द्वारा दिया गया संकेत शरीर के अंगों तक नहीं पहुंच पाता है। दिमाग और अंगों के आपस में सामंजस्य ना होने के कारण ऐसा होता है।
कमजोर नर्वस सिस्टम से ज्यादा पेशाब लगना (Excessive urination due to weakened nervous system): जब नर्वस सिस्टम डैमेज हो जाता है तो दिमाग से ब्लैडर को झूठा संकेत मिलता है जिसमें आपको लगता है कि आपको पेशाब आ रहा है। लेकिन हकीकत में यह सिर्फ वहम होता है सच में पेशाब नहीं आता। अगर बार-बार पेशाब आने जैसा लगता है लेकिन पेशाब आता नहीं है तो यह भी नर्व डैमेज का संकेत हो सकता है।
कमजोर नर्वस सिस्टम से चोट लगने पर भी पता न चलना (Not knowing even when hurt): संवेदी तंत्रिकाएं बताती हैं कि किन चीजों से चोट लग सकती है और कौनसी चीजें आपके लिए अच्छी होती हैं। अगर संवेदी तंत्रिकाएं संकेत नहीं दे पाती तो आपको चोट लगने के बाद भी दर्द महसूस नहीं होता या देरी से महसूस होता है। ऐसे में आपको कटने पर, जलने पर दर्द और जलन का एहसास नहीं होता है जिससे दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है।
किसी दुर्घटना के कारण शरीर पर आने वाली चोट के कारण नसों में सूजन, डायबिटीज की समस्या के कारण, हाई ब्लड प्रेशर या नसों में वसा, ऑटोइम्यून डिजीज के कारण, जिसमें गलती से प्रतिरोधक तंत्र अपने ही टिशू को नष्ट करने लगता है। किसी संक्रामक बीमारी के कारण, जिसका सीधा प्रभाव नसों की कार्यक्षमता पर पड़े। कभी-कभी शरीर में हार्मोन असुंतलन की स्थिति भी नसों में कमजोरी की वजह बन सकती है। किडनी और लिवर से संबंधित विकार के कारण शरीर में बनने वाले विषैले पदार्थ नसों पर घातक प्रभाव डाल सकते हैं। अत्यधिक शराब का सेवन या पोषक तत्वों की कमी के कारण।
आयुर्वेदिक ऑयल मसाज कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (ayurvedic oil massage for weak nervous system): कमजोर नसों का आयुर्वेदिक इलाज आयुर्वेदिक ऑयल मसाज के जरिए किया जा सकता है। इस बात की पुष्टि दो अलग-अलग शोध से होती है। लैवेंडर ऑयल में दर्द निवारक गुण मौजूद होता है। इस गुण के कारण लैवेंडर ऑयल नसों में कमजोरी और दर्द की समस्या में सहायक साबित हो सकता है।
एप्सम साल्ट कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Epsom salt for weak nervous system): नर्वस सिस्टम की बीमारी के लिए एप्सम साल्ट का उपयोग किया जा सकता है। एप्सम साल्ट (मैग्नीशियम सल्फेट) को कई न्यूरोलोजिकल डिजीज (नसों के रोग) में उपयोगी माना गया है। इनमें मिर्गी, पार्किन्संस रोग, अल्जाइमर और स्ट्रोक जैसी कई स्थितयां शामिल हैं। इसके लिए एप्सम साल्ट का न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण सहायक माना जा सकता है। एप्सम साल्ट युक्त पानी से नहाने या प्रभावित अंग को भिगोने से काफी हद तक नर्वस सिस्टम कमजोर होने के लक्षण से राहत पाई जा सकती है।
अश्वगंधा कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Ashwagandha for weak nervous system): अश्वगंधा के उपयोग से भी कमजोर नसों का इलाज संभव हो सकता है। अश्वगंधा को नर्वाइन टॉनिक (नसों को पुनर्जीवित करने वाला) माना गया है।
वाटर थेरेपी कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Water therapy for weak nervous system): वाटर थेरेपी को एक्वेटिक थेरेपी भी कहा जाता है। तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकार से पीड़ित व्यक्तियों के लिए फायदेमंद माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि कुछ देर पानी में रह कर आराम करने से या फिर कुछ व्यायाम करने से नसों में कमजोरी की समस्या में राहत मिल सकती है।
सूरज की रोशनी कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Sunlight for weak nervous system): नसों की कमजोरी से राहत पाने के लिए रोजाना कुछ देर धूप में बैठा जा सकता है। नसों की कमजोरी विटामिन-डी की कमी के कारण भी हो सकती है। विटामिन-डी की कमी पार्किंसन्स रोग का जोखिम खड़ा कर सकती है। सूरज की किरणें विटामिन-डी का एक बड़ा स्रोत हैं जो शरीर में विटामिन-डी की मात्रा को बढ़ाने का काम कर सकती हैं।
नसों की कमजोरी कैसे दूर करें (How to overcome neuralgia)
हमेशा फिट होने के लिए और अच्छा दिखने के लिए अपनी डाइट में तमाम बदलाव करते हैं। लेकिन अपने दिमाग के लिए अपने खान-पान में बदलाव नही करते। शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी अतिरिक्त पोषण की जरूरत पड़ सकती है।
हरी-पत्तेदार सब्जियां कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Green leafy vegetables for weak nervous system): हरी-पत्तेदार सब्जियों में विटामिन बी कॉम्पलैक्स, विटामिन सी, ई और मैगनिशियम भी होता है जो कि हमारे दिमाग के काम करने के लिए बेहद जरूरी है। विटामिन बी से न्यूरोट्रांसमीर्टस अच्छी तरह से काम करते हैं। मैगनिशियम से नर्व्स सही रहती हैं। विटामिन सी और ई नर्वस सिस्टम के लिए एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट का काम करता है।
ब्रॉक्ली कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Brockley for weak nervous system): ब्रॉक्ली में विटामिन के होता है जो दिमाग की शक्ति बढ़ाता है। ब्रॉक्ली में ग्लूकॉसिनोलेट्स होता है जो हमारे न्यूरोट्रांसमीटर की क्षमता में इजाफा करता है।
फिश कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए लाभकारी (Fish beneficial for weak nervous system): फिश आयल सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। फिश में ओमेगा 3 होता है जो नर्वस सिस्टम के लिए फायदेमंद है। मेयलिन शेथ नर्व्स को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
विटामिन कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Vitamins for weak nervous system): नसों की कमजोरी से निजात पाने के लिए विटामिन-बी और डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। यह रीढ़ और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का काम कर सकते हैं। विटामिन बी-12, फोलेट और डी एंटी इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होते हैं जो शरीर के अंदर की सूजन को कम करने का काम कर सकते हैं। साथ ही केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित नसों के रोग को दूर करने में मदद कर सकते हैं। शरीर में इन विटामिन की मात्रा बढ़ाने के लिए मछली, रोटी, साबुत अनाज, सब्जियां, ब्राउन राइस, पनीर और अंडे की जर्दी जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
मैग्नीशियम कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Magnesium for weak nervous system): स्वस्थ नर्वस सिस्टम के लिए मैग्नीशियम महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह नसों के साथ ही हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाता है। साथ ही हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम को भी बढ़ावा देने का काम करता है। शरीर में मैग्नीशियम की मात्रा बढ़ाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, केला और दही जैसे मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
ओमेगा कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Omega for weak nervous system): ओमेगा में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है और कमजोर व क्षतिग्रस्त नसों के कारण नसों की विभिन्न बीमारियों का उपचार करने में मदद कर सकता है।
ग्रीन टी कमजोर नर्वस सिस्टम के लिए (Green tea for weak nervous system): ग्रीन टी स्वस्थ तंत्रिका तंत्र को बढ़ावा देता है। इसमें एल-थीनिन नाम का एक तत्व होता है जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है।
स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए विटामिन जरूरी हैं -Vitamins Are Essential For Healthy Health in hindi)