सृष्टि और मनुष्य की उत्पत्ति-Srishti Aur Manushya Ki Utpatti

Share:

 

सृष्टि और मनुष्य की उत्पत्ति

पुराणों के अनुसार भगवान ने मनुष्य को मिट्टी से, देवताओं को प्रकाश से और देवताओं के विपरीत शक्तियों को आग से बनाया है। अपने पुण्य कर्मों से ही इन सब की प्राप्ति होती है। वेदों के अनुसार जिस किसी ने जन्म लिया है, चाहे वह मिट्टी के रूप में हो या मनुष्य, प्रकाशरूप,  अग्नि रूप में ब्रह्मराक्षस सभी की मृत्यु निश्चित है। 

सृष्टि और मनुष्य की उत्पत्ति Srishti Aur Manushya Ki Utpatti ki katha story in hindi, srishti ke nirmata kaun hai in hindi, srishti ke pita kaun hai in hindi, srishti ke palankarta kaun hai in hindi, srishti ke sanchalak in hindi, srishti ke rachyita in hindi, srishti ke bare mein in hindi, srishti in hindi, s brahma vishnu mahesh ki utpatti kaise hui in hindi, srishti ka nirman kaise hua in hindi, srushti utpatti in hindi, brahmand ki rachna kisne ki in hindi, brahma ji ne srishti ki rachna kab ki thi in hindi, srishti rachna brahma ji ne ki thi in hindi, srishti  ke barein mein in hindi, srishti  ka matlab in hindi, srishti gyan in hindi, Bhagwan-Vishnu-Ka-Matsya-Avatar hindi, sakshambano, sakshambano ka uddeshya, latest viral post of sakshambano website, sakshambano pdf hindi,

सृष्टि के संचालन हेतु भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए नियुक्ति 

सृष्टि के संचालन हेतु परमेश्वर ने भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए नियुक्त किये जैसे ब्रह्मा सृष्टिकर्ता है,  विष्णु पालनकर्ता और शिव सभी संहारक शक्तियों के स्वामी है। अर्थात वे मृत्यु और प्रलय के देवता हैं। ब्रह्मा इस सृष्टि में लाते है, भगवान-विष्णु पालने का कार्य करते है और भगवान शिव ले जाने कार्य करते है। इसी तरह इन्द्र बारिश, विद्युत और युद्ध को संचालित करते हैं। अग्नि सभी आहूतियों को ले जाने वाले हैं। सूर्यदेव जगत के शुद्ध प्रकाश से समस्त प्राणियों को जीवनदान देते है। पवनदेव के अधीन रहती है जगत की समस्त वायु। वरुणदेव का जल जगत पर शासन है। कुबेर धन के अधिपति और देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। मित्रदेव, देव और देवगणों के बीच संपर्क का कार्य करते हैं। कामदेव और रति सृष्टि में समस्त प्रजनन क्रिया के निदेशक हैं। अदिति और दिति को भूत, भविष्य, चेतना तथा उपजाऊपन की देवी माना जाता है। 

भगवान श्री गणेश विघ्न हरण मंगल करण

भगवान श्रीगणेश जी को देवगणों का अधिपति नियुक्त किया गया है। वह बुद्धिमत्ता और समृद्धि के देवता हैं। विघ्ननाशक की ऋद्धि और सिद्धि नामक 2 पत्नियां हैं। कार्तिकेय वीरता के देव हैं तथा वे देवताओं के सेनापति हैं। नारद देवताओं के ऋषि हैं तथा चिरंजीवी हैं। उनमें तीनों लोकों में विचरने करने की शक्ति है। वह  देवताओं के संदेशवाहक और गुप्तचर है। सृष्टि में घटित होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी देवऋषि नारद के पास होती है। अंत में देवताओं में सबसे शक्तिशाली देव रामदूत हनुमानजी अभी भी सशरीर हैं और उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। वे पवनदेव के पुत्र हैं। बुद्धि और बल देने वाले देवता हैं। उनका नाम मात्र लेने से सभी तरह की बुरी शक्तियां और संकटों का निवारण हो जाता है। यमराज सृष्टि में मृत्यु के विभागाध्यक्ष हैं। सृष्टि के प्राणियों के भौतिक शरीरों के नष्ट हो जाने के बाद उनकी आत्माओं को उचित स्थान पर पहुंचाने और शरीर के हिस्सों को पांचों तत्व में विलीन कर देते हैं। वे मृत्यु के देवता हैं। चित्रगुप्त संसार के लेखा-जोखा कार्यालय को संभालते हैं और यमराज, स्वर्ग तथा नरक के मुख्यालयों में तालमेल भी कराते रहते हैं। इसके अलावा अर्यमन आदित्यों में से एक हैं और देह छोड़ चुकीं आत्माओं के अधिपति हैं अर्थात पितरों के देव।

सृष्टि संचालन के लिए भगवान शिव रूप

सृष्टि से पूर्व शिव हैं और सृष्टि के विनाश के बाद केवल शिव ही शेष रहते हैं। सृष्टि के निर्माण के लिए भगवान शिव ने अपनी शक्ति को स्वयं से पृथक किया। भगवान शिव स्वयं पुरूष लिंग के द्योतक हैं तथा उनकी शक्ति स्त्री लिंग की द्योतक हैं। पुरुष (शिव) एवं स्त्री (शक्ति) का एका होने के कारण शिव नर भी हैं और नारी भी, इसलिए वे अर्धनारीश्वर हैं। ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की लेकिन जब सृष्टि का विस्तार संभव हुआ तब ब्रह्मा ने भगवान शिव का ध्यान किया और घोर तपस्या की। शिव अर्धनारीश्वर रूप में प्रकट हुए। उन्होंने अपने शरीर के अर्ध भाग से शिवा (शक्ति या देवी) को अलग कर दिया। 

भगवान विष्णु के अवतार-Bhagwan Vishnu ke Avatars

No comments