फंगल इंफेक्शन की परेशानी, अब नहीं रहेगी- Fungal infection problem will not be longer

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फंगल इंफेक्शन की परेशानी, अब नहीं रहेगी
(Fungal infection problem will not be longer in hindi)

अक्सर लोगों को सिर में फंगल इंफेक्शन की शिकायत होती है। फंगस पैदा करने वाले बैक्टीरिया आमतौर पर मानसून में पैदा होते हैं और बारिश के बाद भी इनका प्रभाव खत्म नहीं होता। इस दौरान लोग डैंड्रफ से भी काफी परेशान रहते हैं। बारिश मौसम के दौरान हमें अपनी स्किन के साथ-साथ बालों का खास ख्याल रखने की जरुरत पड़ती है। लेकिन जब बात पैरों की आती हैं तो उन्हें हम बिल्कुल अनदेखा कर देते हैं जिसके कारण पैरों में अधिक नमी और ठीक ढंग से साफ सफाई न होने के कारण फंगल इंफेक्शन की समस्या हो जाती हैं। बारिश के मौसम में लंबे समय तक बारिश का गंदे पानी में पैर रहने के कारण भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे सिर्फ स्किन ही नहीं निकलती है बल्कि कई लोगों के पैरों की  अंगुलियों के आसपास गहरे घाव भी हो जाते हैं। फंगस किसी को भी हो सकता है लेकिन कुछ लोगों में यह फंगल इंफेक्शन होने की आशंका दूसरों के मुकाबले ज्यादा होती है। इसमें वृद्ध, वयस्क, नाखून की चोट वाले, नाखून की सर्जरी वाले, मधुमेह का शिकार, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले, रक्त संचार और पैर में दाद की समस्या वाले लोग शामिल हैं।

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फंगल इन्फेक्शन कैसे और क्यों होता है (How and why fungal infections occur): स्किन फंगल इंफेक्शन (Skin fungal infection) : फंगल स्किन इंफेक्शन कई तरह के फफूंद की वजह से होता है इसमें डर्मेटोफाइट्स और यीस्ट प्रमुख हैं। फफूंद मृत केराटीन मेंपनपता है और धीरे-धीरे शरीर के नम स्थानों में फैलता जाता है, जैसे पैर की एड़ी, नाखून, जननांगों और स्तन। केराटीन एक प्रकार का प्रोटीन है जिससे त्वचा, नाखून और बालों के निर्माण में होता है। त्वचा शरीर को किसी भी तरह के वायरल और बैक्टेरिया के संक्रमण से बचाती है। स्किन फंगल इंफेक्शन में त्वचा पर सफेद पपड़ी जम जाती है, जिसमें खुजली होती है। ध्यान न देने पर कभी-कभी इनमें बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी हो जाता है। त्वचा का संक्रमण और चर्म रोग दोनों में अंतर है। त्वचा कासंक्रमण रोगाणु, जीवाणु, वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट और फंगल के संक्रमण से होता है। त्वचा में संक्रमण के लिए कई तरह के कीटाणु जिम्मेवार होते हैं। सकते हैं। फफूंद संक्रमण नमी में बढ़ता है त्वचा पर फफूंद संक्रमण- बरसाती मौसम, उमस और नमी भरे वातावरण में फंगस का आक्रमण बढ़ जाता है। इम्यून सिस्टम का कमजोर होना स्किन इंफेक्शन की बड़ी वजह है। दवा के साइड इफेक्ट से भी स्किन में इंफेक्शन का खतरा रहता है। इसके अलावा, कवक यानि यीस्ट अक्सर गर्म, नम वातावरण में बढ़ता है। पसीने से तर या गीले कपड़े पहने हुए व्यक्ति को त्वचा संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। स्किन कटने या फटने पर संक्रमित बैक्टीरिया त्वचा के गहरे परत तक फैल जाता है। इससे खुजली, जलन, त्वचा फटना एवं फफोले हो सकते हैं। यह पैर की उंगलियों के बीच के हिस्सों में बढ़ता है जोकि एक कवक के कारण होता है। कवक संक्रमण त्वचा में खुजली बढ़ाती है और पैर की त्वचा ज्यादा परतदार और लाल हो जाती है। इसके कारण कभी-कभी पैर में सफेद दरारें भी आ जाती है और फफोले भी निकल जाते हैं।

नेल फंगस (Nail Fungus)

नाखून सिर्फ हाथ-पैरों की सुंदरता ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य का भी दर्शाता है। नेल फंगस सिर्फ नाखूनों की खराबी और नाखून रोग का ही नहीं बल्कि कई गंभीर बीमारियों का संकेत भी देते हैं। नेल फंगल नाखुनों का इन्फेक्शन या फिर नाखून रोग एक सामान्य संक्रमण है, जो हाथों की उंगलियों में और अंगूठों में होता है। इस संक्रमण के कारण नाखून रंगहीन व मोटे हो जाते हैं और उनमें दरार भी पड़ जाती हैं। यह फंगल उंगलियों के नाखून से ज्यादा अंगूठे के नाखून में देखा जाता है। इस संक्रमण को ऑनिओमाइकोसिस के नाम से जाना जाता है। नेल फंगस सामान्यत चार प्रकार के होते हैं। 

नेल फंगस के प्रकार (Types of nail fungus in hindi): डिस्टल सबंगुअल ऑनिओमाइकोसिस (Distal subungual oniomycosis): नेल फंगस में यह सबसे साधारण तरह का फंगल संक्रमण है जो नाखून के नोक को प्रभावित करता है। इस दौरान नाखून का आगे का हिस्सा टूट जाता है जिससे सूजन आ जाती है और नाखून के नीचे का हिस्सा मोटा होने लगता है।

व्हाइट सुपरफिशियल ऑनिओमाइकोसिस (White superficial oniomycosis): यह संक्रमण नाखूनों की ऊपरी परत को प्रभावित करता है। कुछ समय बाद यह इंफेक्शन नाखून के कॉर्निफाइड लेयर यानी भीतरी परत को प्रभावित करने लगता है। यह संक्रमण फैलता ही जाता है जिससे नाखून खुरदुरे, नाजुक और टेढ़े हो जाते है।

नाखून का कैंडिडा (Nail Candida Infection): नाखून का यह फंगस काफी असामान्य होता है जो नाखून को प्रभावित करने के साथ-साथ नाखून से चिपकी त्वचा को भी प्रभावित करता है। अंगूठे के नाखून के साथ ही अन्य नाखूनों में भी होता है। इस दौरान कई बार आपके नाखून अंगूठे से अलग हो जाते हैं। यह संक्रमण पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक होता है। कैंडिडा नेल फंगस के मध्य उंगली यानी मिडिल फिंगर में होने की आशंका ज्यादा होती है।

प्रॉक्सिमल सबंगुअल ऑनिओमाइकोसिस (Proximal subungual oniomycosis): यह साधरणतः उन लोगों में है जो पहले से ही एचआईवी से संक्रमित हैं। यह नाखून के आधार को प्रभावित करता है। साथ ही यह पैर की त्वचा को भी प्रभावित कर सकता है। 

फंगल के लिए घरेलू उपचार (Home remedies for Fungal in hindi)

फंगल के लिए हल्दी (Turmeric): हल्दी को एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर माना जाता है। इसलिए पैरों की अगूलियों के आसपास हल्दी का पेस्ट लगा लें।

फंगल के लिए मुल्तानी मिट्टी (Multani Mitti): मुल्तानी मिट्टी में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने के साथ-साथ डेड सेल्स से छुटकारा दिलाती हैं। मुल्तानी मिट्टी में थोड़ा सा नीम और लैवेंडर का तेल डालकर पेस्ट बना लें। इसके बाद इसे फंगस इंफेक्शन में लगा लें। 

फंगल के लिए नींबू (Lemon): नींबू और सिरका में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो बारिश के कारण पैरों में होने वाली खुजली से छुटकारा दिलाते हैं। इसके लिए एक बाउल में नींबू का रस, सिरका और थोड़ी सी ग्लिसरीन मिलाकर पेस्ट बना लें और इसे पैरों पर लगाएं।

फंगल के लिए सिरका (Vinegar): बारिश के मौसम में अधिकतर फंगल इंफेक्शन की समस्या हो जाती हैं। किसी कारण बारिश के पानी में भीग कर आए हैं तो सिरका के पानी से पैर धो लें। इससे आपको किसी भी तरह का इंफेक्शन नहीं होगा।

फंगल के लिए बेकिंग सोडा (Baking soda): फंगल इंफेक्शन दूर करने में बेकिंग सोड़ा बड़ा कारगर है। यह फंगल की एक्टिविटी को कम कर राहत दिलाता है। बेकिंग सोडा को पानी में मिक्स कर थोड़ी देर के लिए मसाज करें और बाद में शैम्पू की बजाय सिर को सादे पानी से धो लें।

फंगल इन्फेक्शन के लिए घरेलू दवा (Home medicine for fungal infection in hindi)

फंगल के लिए विनेगर (Vinegar): फंगल इंफेक्शन दूर करने के लिए आप एप्पल विनेगर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। विनेगर इन्फेक्शन पैदा करने वाली मुख्य फंगी पर वार करता है। एप्पल विनेगर को पानी पहले पानी में मिला लें और फिर धीरे-धीरे इसे इंफेक्शन वाले हिस्से पर लगाएं।

फंगल के लिए एलोवेरा (Aloe vera): सिर में होने वाले इंफेक्शन को दूर करने में एलोवेरा जेल काफी कारगर हैयह जलन, खुजली और रैशेज से राहत भी दिलाएगा। इंफेक्शन होने पर बालों की जड़ों में एलोवेरा जेल 30 मिनट तक लगाकर छोड़ दें। 

फंगल के लिए नीम की पत्तियां (Neem leaves): बारिश के मौसम में होने वाला फंगल इंफेक्शन नीम की पत्तियों से भी दूर किया जा सकता है। नीम की पत्तियों का पेस्ट बना लें और उसमें थोडा सा नींबू का रस और थोड़ी हल्दी मिला लें. इस पेस्ट को बालों की जड़ो में 30 मिनट तक लगाकर छोड़ दें। 

फंगल के लिए दही (Curd): अगर आप या आपका कोई परिचित फंगल इंफेक्शन का दंश झेल रहा है तो उसे रोकने के लिए दही दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स लैक्टिक एसिड बनाता है, जो फंगलइंफेक्शन की रोकथाम में मददगार होता है।

फंगल के लिए लहसुन (Garlic): लहसुन से नाखूनों का संक्रमण ठीक किया जा सकता है। इसमें एंटी फंगल गुण होते हैं जिससे दोबारा बैक्टीरिया नहीं पनपते हैं। कुछ लहसुन की कलियाँ लें इसमें वाइट विनगर मिलाएं फिर इसका पेस्ट बनाइये। इस मिश्रण में अपने नाखूनों को 10-20 मिनट के लिए भिगोएं। 

फंगल इंफेक्शन पर काबू कैसे करें (How to control fungal infection in hindi)

फंगल के लिए अजवायन का तेल (Oregano Oil): अजवायन के तेल की 3-4 बूंदें, 1 चम्मच नारियल तेल अब इसे अच्छी तरह से मिलाकर प्रभावित नाखून पर लगाएं। इसे लगाने के बाद सूखने के लिए छोड़ दें। रोजाना दो बार करना चाहिए।

फंगल के लिए ऑलिव (Olive): ऑलिव लीफ एक्सट्रैक्ट में ओलेरोपीन जैसे यौगिक होते हैं जिनमें एंटीफंगल गुण पाये जाते हैं। नाखून के फंगल इंफेक्शन को ठीक करने में भी मदद करते हैं।  जैतून की पत्तियों के अर्क को प्रभावित नाखून पर लगाएं। इसे सूखने के लिए ऐसे ही छोड़ दें। रोजाना दो करना चाहिए। 

फंगल के लिए सूरजमुखी का तेल (Sunflower oil): ओजोनाइज्ड सूरजमुखी तेल की कुछ बूंदें प्रभावित नाखून पर लगाएं। अब प्रभावित जगह को पट्टी या रूई से लपेट लें।

फंगल के लिए नारियल का तेल (Coconut oil): नारियल के तेल की कुछ बूंदें नाखून पर लगाएं। प्रतिदिन 2 बार करना चाहिए। नारियल के तेल में एक मोनोलॉरिन नामक यौगिक होता है। 

फंगल के लिए पुदीना (Mint): पुदीने में संक्रमण के प्रभाव को नष्ट करने की क्षमता होती है। पुदीने की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें। इस पुदीने के पेस्ट को त्वचा में लगा कर इसे 1 घंटे रहने दें।

फंगल के लिए कपूर (Kapoor): केरोसिन के तेल में 5 ग्राम कपूर और 1 ग्राम नेप्थलीन को मिला लें। इसे संक्रमण वाली जगह पर कुछ देर मलहम की तरह लगा कर छोड़ दें। जब तक रोग ठीक न हो जाये। इस उपाय को दिन में दो बार करें।

फंगल के लिए पीपल की पत्तियां (Peepal Leaves): पीपल की पत्तियों को थोड़े पानी के साथ उबाल लें। इसे ठंडा होने दें और इस पानी का प्रयोग त्वचा को धोने के लिए करें। इससे घाव जल्दी ठीक होने लगते हैं। 

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