रिसर्च में बताया गया है कि कबूतर की बीट से इंसानों को 60 से ज्यादा खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। इनमें सबसे ज्यादा (हिस्टोप्लास्मोसिस), (क्रिप्टोकोकोसिस) और (सीटाकोसिस) जैसी बीमारियां होती हैं। फेफड़ो में होने वाला एक गम्भीर संक्रमण है जो कबूतर की बीट या पंखों के कण से होता है। कबूतर की बीट से फंगल इंफेक्शन भी होता है, जिसे (हिस्टोप्लास्मोसिस) कहते हैं, इससे इंसान को तेज बुखार, खांसी-जुकाम और खून की समस्या हो जाती है। क्रिप्टोकोकोसिस भी एक फंगल इंफेक्शन है, जिससे स्किन पर रैशेज और दाने हो जाते हैं। (सीटाकोसिस) भी कबूतर की बीट में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होती है, इसमें इंसान को खांसी-जुकाम और बुखार जैसी समस्या हो जाती है।
अगर सही समय पर उपचार नहीं मिले तो बीमार व्यक्ति की स्थिति तेजी से बिगड़ती है। कई बार ये स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि मरीज के फेफड़ों की सर्जरी या ट्रांसप्लांट की नौबत आ जाती है। वर्ष 2017-18 में पुणे म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन की एनवायरमेंट स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया कि सांस से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इसकी वजह उन्होंने कबूतरों को बताया था। कुछ दिन पहले दिल्ली में भी एक मामला सामने आया था। एक 30 साल के युवक की मौत हो गई थी, मौत की वजह फेफड़ों का संक्रमण बताया गया था। संक्रमण उसे कबूतरों की बीट में पाए जाने वाले बैक्टीरियों की वजह से हुआ था।
कबूतर हमारे इकोसिस्टम का हिस्सा हैं, लेकिन अभी तक पेड़ों पर घोंसला बनाकर रहने वाले कबूतर धीरे-धीरे हाई राइज बिल्डिंगों के छज्जों पर अपना घर बना चुके है। इन कबूतरों की मौजूदगी और उनकी बीट इंसानों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा रही है। एक डाक्टर मुताबिक उनके पास हर दिन 2 से 3 मरीज आते हैं, सभी के फेफड़े कबूतर की बीट की वजह से संक्रमित हुए हैं। कई तरह के टेस्ट से पता चला कि उनकी बीमारी की वजह भी कबूतर की बीट और पंख के अंश हैं।
ज्योतिष शास्त्र में कहा जाता है कि कबूतर को दाना डालने से घर में सुख शांति आती है। लेकिन आज की वैज्ञानिक सच्चाई यह है कि कबूतर के आने से दुख और अशांति आती है। अगर आप अपने घर की बालकनी में कबूतर को दाना डालकर सुख शांति पाने की कोशिश कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि ये कबूतर आपके घर को बीमारियों का डेरा बना रहे हैं। रिसर्च के मुताबिक एक कबूतर एक साल में 11.5 किलो बीट करता है। बीट सूखने के बाद उसमें परजीवी पनपने लगते हैं। बीट में पैदा होने वाले परजीवी हवा में घुलकर संक्रमण फैलाते हैं। इस संक्रमण की वजह से कई तरह की बीमारियां होती हैं। कबूतर और उनकी बीट के आसपास रहने पर इंसानों में सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों में इन्फेक्शन, शरीर में एलर्जी हो सकती है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक सांस की तकलीफ में कबूतर की बीट वाला संक्रमण पता करने में 3-4 साल लग जाते हैं। लोग यह मानने को तैयार नहीं होते कि कबूतर की बीट उनकी सांस की बीमारी की वजह है। अगर बालकनी में या आसपास कबूतरों का डेरा ज्यादा है तो आपको खतरे का आभास हो जाना चाहिए। कबूतर इंसानों के लिए एक ऐसा खतरा बन गए हैं जिसका इलाज उन्हें मारना नहीं है, बल्कि उनसे दूरी बनाना है। आपको कबूतर को दाना डालने से मना नहीं कर रहे हैं, बल्कि कबूतर की फैलाई गंदगी से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं।
आयुर्वेद लाइफस्टाइल बीमारियों से रखे दूर- Ayurveda Lifestyle Keep Away From Diseases
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