क्यों होते हैं पेट में कीड़े - Why are there bugs in the stomach

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क्यों होते हैं पेट में कीड़े
(Why are there bugs in the stomach)

पेट में कीड़ा होना कृमि रोग कहलाता है। पेट के कीड़े कईं समस्या पैदा कर देते है। यह समस्या सबसे अधिक बच्चों में होती है, जिस कारण उनमें पेट दर्द, भूख न लगना और वजन घटने जैसे लक्षण दिखाई देते है। पेट में कीडे़ 20 प्रकार के होते हैं, जो पेट में घाव तक कर देते हैं। कृमिरोग या पेट में कीड़ा दूषित आहार एवं खराब जीवनशैली के कारण ही होता है। जो लोग खुले में बनने वाला भोजन या दूषित भोजन करते हैं उन्हें ही कृमिरोग होने की अधिक संभावना रहती है। भोजन करने से पहले हाथ न धोना, गन्दा और बासी भोजन करना इत्यादि।

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कृमिरोग होने की संभावना कब बनती है (When is there a chance of getting worm disease): पेट में कीड़े होने पर बार-बार पेट में दर्द होता है। आँखे लाल रहती हैं, जीभ का रंग सफेद एवं जीभ मोटी नजर आती है। मुँह से हर समय दुर्गन्ध आती है। इसी के साथ रात को सोते समय जिन बच्चों के दाँत बजते हो उनके भी पेट में कीड़े होते हैं। मानव शरीर के भीतर पाये जाने वाले सभी कृमि प्रजनन क्रिया के बाद आंतो में अण्डे देते हैं। ये अण्डे ग्रसीत व्यक्ति के मल के माध्यम से मिटटी में पहुँच जाते हैं। मिट्टी से ये कृमि के अंडे गंदे हाथों व खाने की चीजों तक पहुँच जाते हैं। इस तरह ये उसी व्यक्ति या किसी और व्यक्ति की आँतों में पहुँच जाते हैं। 

खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोना बेहद जरूरी है। परन्तु कुछ कृमि हमारी त्वचा को भेदकर शरीर के अन्दर पहुँच जाते हैं। आहारनली तक पहुँचने से पहले कुछ कृमि फेफड़ों तक पहुँच जाते हैं। इससे सुखी खॉंसी होती है। इस तरह कीड़ों के चक्र को स्वच्छता में कमी से बढ़ावा मिलता है। मुनष्य के मल के सही निकास और तथा शौच के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत से कीड़ों से बचाव हो सकता हैं।

कृमि संक्रमण के लक्षण (Symptoms of worm infection): किसी का पेट खराब होने या भूख न लगने की शिकायत हो तो सम्भावतः पेट में कृमि है। पेट के निचले हिस्से में दर्द इसका एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह दर्द ज्यादातर हल्का ही होता है पर बच्चों में कभी-कभी यह उनके बर्दाश्त से ज्यादा होता है। दर्द ज्यादातर नाभी के आसपास होता है। आँत में ऊपरी हिस्से में कीड़े होने से उल्टियॉं होती है। निचले आँत में कीड़े होने से दस्त होते हैं। कृमि के कारण शौच की आदत में भी बदलाव आ जाता है। इसपर कीड़े निकालने की दवा की एक खुराक अक्सर काफी असरकारी होती है। जिन बच्चों के पेट में कृमि होते हैं उन्हें भूख कम लगती है। सभी तरह के कृमियों से कुपोषण होता है। अंकुश कृमि आँतों में से चूसे हुए खून पर पलते हैं। इससे अनीमिया हो जाता है। कुपोषण, खून की कमी के कारण थकान, कमजोरी होती है।

इन कृमियों को हम आँखों से देख सकते हैं (We can see these worms with eyes): सूत कीड़े आमतौर पर गुदा के क्षेत्र में रात के समय अण्डे दे देते हैं। इससे खासकर बच्चों में जोरदार खुजली होती है। इससे वो रात में सो भी नहीं पाते। ये कीड़े हम आँखों से देख सकते हैं। लड़कियों में ये कीड़े कभी-कभी पेशाब के रास्ते में घुस जाते हैं। इससे पेशाब के रास्ते में शोथ हो जाता है। इससे पेशाब करने के समय जलन होती है। फंफडे, लीवर आदि अंग में चोट के बाद अंग प्रभावित लक्षण भी हो सकते है। बहुत सारी संख्या में व्यस्क कृमि द्वारा आंतो में अवरोध के कारण पेट फूलना या गोलकृमि का गुच्छे द्वारा आँत में रोक पैदा करता है। इससे काफी गम्भीर समस्या हो जाती है शल्यक्रिया की जरूरत पड़ सकती है। लसीका तंत्र के अवरोध के कारण अंडकोष या अन्य अंगो में सूजन कृमि के मल, स्रावित द्रव्य या टाक्सीन के कारण एलॅरजी त्वचा पर चकते और रक्त में ईओसिन कोशिकाओ में वृद्धि से पता लगाया जा सकता है। पेट दर्द होना, वजन कम होना, आँखे लाल होना, जीभ का सफेद होना, मुंह से बदबू आना, गले में धब्बे पड़ना, शरीर पर सूजन आना, गुप्तांग में खुजली होना, जी मचलना और उलटी आना, दस्त लगना इत्यादि। 

पेट के कीड़े मारने के घरेलू उपाय (Home remedies to kill stomach worms)

घरेलू उपचार द्वारा पेट के कीड़े बाहर निकलने को मजबूर (Stomach worms forced to come out by home remedies): अजवाइन पेट के कीड़े कैसे दूर करें (How to get rid of ajwain stomach worms): अजवायन का चूर्ण आधा ग्राम और उतना ही गुड़ गोली बनाकर दिन में तीन बार सेवन करें। अजवायन में एंटी बैक्टिरीयल तत्व पाए जाते हैं जो कीड़ों को समाप्त कर देते हैं। इसका सेवन चार से पाँच दिन तक करें। इसके अलावा चुटकी भर काला नमक और आधा ग्राम अजवायन चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय गर्म पानी से लें। यह उपयोग बच्चों में काफी कारगर है यदि बड़ों को यह समस्या है तो काला नमक और अजवायन दोनों को बराबर मात्रा में लीजिए। दिन में दो बार तीन से चार दिन तक इसका सेवन करें।

अनार पेट के कीड़े कैसे दूर करें (How to remove pomegranate stomach worms): अनार के छिलकों को सुखाकर इसका चूर्ण बना लीजिए। यह चूर्ण दिन में तीन बार एक-एक चम्मच लीजिए। बच्चों और बड़ों दोनों में ही यह उपाय फायदेमन्द है।

नीम के पत्ते पेट के कीड़े कैसे दूर करें (Neem leaves how to remove stomach worms): नीम के पत्तों में एंटी-बैक्टिरीयल तत्व होते हैं जो पेट के कीड़ों को नष्ट कर देते हैं। नीम के पत्तों को पीसकर उसमें शहद मिलाकर पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। इसका सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए।

तुलसी पेट के कीड़े कैसे दूर करें (Tulsi how to remove stomach worms): पेट में कीड़े होने पर तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। 

लहसुन पेट के कीड़े कैसे दूर करें: कृमि रोग होने पर लहसुन की चटनी बनाकर खाएँ। लहसुन की चटनी में सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। बच्चों और बड़ों दोनों में ही इसका प्रयोग कर सकते हैं।

लौंग पेट के कीड़े कैसे दूर करें: लौंग को पानी में भिगा कर रखें और इसके पानी को बच्चों को पिलाने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।

टमाटर पेट के कीड़े कैसे दूर करें: पेट में कृमि होने पर टमाटर को काटकर उसमें सेंधा नमक और काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

आम की गुठली पेट के कीड़े कैसे दूर करें: कच्चे आम की गुठली का चूर्ण दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इसके नियमित सेवन से कुछ ही दिन में पेट के कीड़े बाहर निकल जाते हैं।

कच्चा पपीता पेट के कीड़े कैसे दूर करें: कच्चे पपीते को एक चम्मच दूध में एक चम्मच शहद और चार चम्मच उबला पानी मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

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इलाज: कृमि का इलाज दवाओ से संभव है पर सभी कीड़ों का पूरी तरह से शरीर के अंगो से निकलना आसान नहीं होता। पहले मेबेण्डाजोल की दवाई का इस्तेमाल होता था। अब इसकी जगह एलबेण्डाजोल दवा प्रयोग होती है। क्योंकि इसकी केवल एक ही खुराक काफी होती है। कीड़ों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए दो हफ्तों के बाद दुबारा उसी दवा की दूसरी खुराक ले लेनी चाहिए।