शिव पुराण का महत्व-Importance of Shiva Purana

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शिव पुराण का महत्व

शिव का अर्थ होता है कल्याण। इस पुराण भगवान शिव के लीलाओं और उनके महात्मय से भरा पड़ा है। इसीलिए इस पुराण को शिव पुराण कहते है। भगवान शिव को पापों का नाश करने वाले देव है। तथा भगवान् शिव बड़े ही सरल स्वभाव के हैं। इसीलिए उनका एक नाम भोलेनाथ भी है। अपने नाम के ही अनुसार भगवान शिव बड़े ही भोले भाले और शीघ्र ही अपने भक्तों पर प्रसन्न होने वाले देवता हैं। भगवान शिव कम समय में ही अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं। 

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पद्म पुराण

शिव पुराण के अनुसार इस ग्रंथ के इन संहिताओं का श्रवण करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। तथा शिव धाम की प्राप्ति हो जाती है। एक बार जब जल में नारायण शयन कर रहे थे तब उनकी नाभि से एक सुंदर और विशाल कमल प्रकट हुआ। उस कमल से ब्रह्मा जी की जन्म हुआ। माया के वश में होने के कारण ब्रह्माजी अपने जन्म का कारण नहीं जान सके। उन्हें चारों ओर जल ही जल दिखाई पड़ा। तब उन्होंने एक आकाशवाणी सुनी- आकाशवाणी ने उनसे कहा कि तुम तपस्या करो। लेकिन माया के वश में ब्रह्माजी श्री हरि विष्णु जी के स्वरूप को ना जानकर उनसे युद्ध करने लगे। तब ब्रह्मा जी और विष्णु जी के विवाद को शांत करने के लिए एक अद्भुत ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ। दोनों देव बड़े आश्चर्य होकर इस दिव्य ज्योतिर्लिंग को देखते रहे। और देखते ही देखते उस ज्योतिर्लिंग का स्वरूप जानने के लिए ब्रह्मा जी ने अपना स्वरूप हंस का बनाकर ऊपर की ओर, और भगवान विष्णु वराह का स्वरूप धारण कर नीचे की ओर चले गए। लेकिन दोनों देवों को इस दिव्य ज्योतिर्लिंग के आदि और अंत का पता नहीं चल सका।

ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु को इस दिव्य ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत ढूंढने में सौ वर्ष बीत गए। इसके पश्चात उस दिव्य ज्योतिर्लिंग से उन्हें ओमकार का शब्द सुनाई पड़ा। और उस ज्योतिर्लिंग में पंचमुखी एक मूर्ति दिखाई पड़ी। यही भगवान शिव थे। ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने उन्हें प्रणाम किया। तब भगवान शिव ने कहा तुम दोनों मेरे ही अंश से उत्पन्न हुए हो। और फिर भगवान शिव ने ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना, भगवान विष्णु को सृष्टि का पालन करने की जिम्मेदारी प्रदान की। शिव पुराण में 24000 श्लोक हैं। इस पुराण में तारकासुर वध, मदन दाह, पार्वती जी की तपस्या, शिव पार्वती विवाह, कार्तिकेय का जन्म, त्रिपुर का वध, केतकी के पुष्प शिव पुजा में निषेद्य, रावण की शिव-भक्ति आदि प्रसंग वर्णित किये गए हैं।

शिव पुराण सुनने मात्र से मिलता: जो भी मनुष्य श्रद्धा के साथ भगवान शिव के चरणों में ध्यान लगाकर शिव पुराण की कथा को पढ़ता या सुनता है  वह जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त हो जाता है और और अंत भगवान् शिव के परम धाम को प्राप्त करता है। अन्य देवो की अपेछा भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्द ही प्रसन्न हो जाते है। और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। जो शिव पुराण की कथा श्रवण करते हैं उन्हें कपिला गायदान के बराबर फल मिलता है। पुत्रहीन को पुत्र, मोक्षार्थी को मोक्ष प्राप्त होता है तथा उस जीव के कोटि जन्म पाप नष्ट हो जाते हैं और शिव धाम की प्राप्ति होती है। इसलिये शिव पुराण कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिये। इसलिए हर मनुस्य को अपने जीवन में एक बार इस गोपनीय पुराण को पढ़ना या इसकी कथा अवश्य ही सुननी चाहिए।

शिव पुराण के 12 संहिताओं के नाम हैं।

रौद्र संहिता 
भौम संहिता
मात्र संहिता
धर्म संहिता 
कैलाश संहिता
कोटि रूद्र संहित
शत् रूद्र संहिता
 वायवीय संहिता
वैनायक संहिता  
विघ्नेश्वर संहिता
रूद्रएकादश संहिता
 सहस्र कोटि रूद्र संहिता  

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