इस समस्या से खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है
खून में प्लेटलेट्स के कम होने का मतलब यह है कि या तो शरीर में ये कम बन रही हैं या फिर ठीक मात्रा में बनने के बावजूद शायद किसी कारण से नष्ट होती जा रही हैं। (The lack of platelets in the blood means that either they are becoming less in the body or they are being destroyed due to some reason despite being produced in the right amount) सामान्यतौर पर तो यह डेंगू या ऐसे ही किसी इन्फेक्शन से नष्ट होती हैं, लेकिन कभी-कभी यह अपने आप में एक बुनियादी बीमारी भी हो सकती है.
ऐसे में प्लेटलेट्स बनते तो पर्याप्त मात्रा में हैं, लेकिन बिना किसी अन्य कारण यूं ही हमारा शरीर इन्हें साथ-साथ लगातार नष्ट भी करता जाता है। इस बीमारी (इडियोपैथिक थोम्बोसाइटोपीनिया) में प्लेटलेट्स कम होने के बावजूद प्लेटलेट्स देना कोई इलाज नहीं होता।
कई बार कुछ कारणों से खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। शरीर की इसी स्थिति को मेडिकल की भाषा में थ्रोंबोसायटोपेनिया कहते हैं। प्लेटलेट्स ऐसी रंगहीन कोशिकाएं होती हैं जो आपस में चिपककर खून को गाढ़ा करने या जमाने में मदद करती हैं। थ्रोंबोसायटोपेनिया के कारण शरीर को कोई खास परेशानी का अनुभव भले न हो लेकिन यह कई बार खतरनाक हो सकता है। अगर शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या जरूरत से ज्यादा कम है, तो चोट या खरोंच लगने पर खून लगातार निकलता रहेगा और बंद नहीं होगा।
दरअसल जब कभी किसी को चोट लगती है और खून निकलना शुरू होता है तो त्वचा के ऊपरी हिस्से पर ये प्लेटलेट्स आपस में चिपककर एक गाढ़ी संरचना बना लेते हैं जिसे ब्लड क्लॉटिंग या खून जमना कहते हैं। इससे शरीर का बाकी ब्लड निकलने से बच जाता है और शरीर को कम से कम तकलीफ होती है।
शरीर में कब पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं बनाता
(When does not make enough platelets in the body in hindi)
एनीमिया (Anemia) : अप्लास्टिक एनीमिया की अवस्था में ऐसा होता है। (This happens in a state of aplastic anemia) यह ऐसा विकार होता है, जिसमें बोन मैरो पर्याप्त रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता है। बोन मैरो में कैंसर, जैसे कि ल्यूकेमिया, सिरोसिस लिवर की अवस्था में, जिसमें लिवर में खराबी आ जाती है।
फोलेट की कमी, विटामिन बी-12 की कमी, बोन मैरो में संक्रमण, मयेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम इसमें भी बोन मैरो पर्याप्त रक्त कोशिकाओं को नहीं बनाता है या दोषपूर्ण कोशिकाओं को बनाता है, किमोथेरेपी। कुछ दवाएं भी शरीर में पर्याप्त प्लेटलेट्स बनने नहीं देती हैं, जैसे क्लोरम्फेनिकोल (एंटीबायोटिक), एस्पिरिन और इबुप्रोफेन। चिकनपॉक्स, मम्प्स व रूबेला जैसी वायरस संबंधी बीमारियां। कुछ विकारों और बीमारियों के दौरान भी प्लेटलेट्स नहीं बनते या उन्हें हमारा शरीर नष्ट कर देता है।
थ्रोम्बोसायटोपेनिया का कारण (Causes of thrombocytopenia) : थ्रोम्बोसायटोपेनिया यानि खून में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी कई कारणों से हो सकती है। प्लेटलेट्स हमारे बोन मैरो में बनते हैं। बोन मैरो हड्डियों के अंदर कुछ मुलायम टिशूज होती हैं। अगर शरीर में पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं बना पा रहे है तो थ्रोंबोसायटोपेनिया हो सकता है या कई बार ऐसा भी होता है कि बोन मैरो पर्याप्त संख्या में प्लेटलेट्स बनाता है मगर वे बनने के साथ ही किन्हीं कारणों से नष्ट होते रहते हैं।
प्लेटलेट्स कम होने का मुख्य कारण बोन मैरो में कोई समस्या हो सकती है। आमतौर पर एप्लास्टिक एनीमिया होने पर बोन मैरो प्रभावित होता है और पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं बना पाता है। कुछ विशेष कैंसर जैसे ल्यूकीमिया, लिम्फोमा आदि के कारण भी बोन मैरो प्रभावित होता है। कई बार प्लेटलेट्स कम करने वाली कुछ अनुवांशिक बीमारियां भी व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी के जिम्मेदार होते हैं।
कुछ वायरस जैसे चिकनपॉक्स, मम्प्स, रूबेला, एचआईवी आदि के कारण भी शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकते है। अगर शरीर का सीधा संपर्क पेस्टिसाइड्स और आर्सेनिक जैसे केमिकल्स से होता है तो भी शरीर में प्लेटलेट्स बनने की क्रिया प्रभावित हो सकती है। कुछ विशेष एंटीबायोटिक्स के ज्यादा इस्तेमाल से भी थ्रोंबोसायटोपेनिया हो सकता है।
स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए विटामिन जरूरी हैं
कम प्लेटलेट्स, जानकारी, उपचार, परहेज
(Low platelets, information, treatment, avoiding)
जिन व्यक्तियों में 150,000 से 400,000 तक रक्त प्लेटलेट्स की स्वस्थ गिनती होती है वह थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के उपचार के लिए पात्र नहीं हैं। इसके अलावा कम प्लेटलेट्स के हल्के लक्षण वाले रोगी उपचार के पात्र नहीं होते हैं क्योंकि ऐसे रोगी थोड़े समय के भीतर आसानी से ठीक हो सकते हैं।
प्लेटलेट्स कम होने का मूल कारण ठीक हो जाने के बाद लो ब्लड प्लेटलेट्स की समस्या अक्सर ठीक हो जाती है। हालांकि ऐसे रोगियों के लिए उपचार के बाद के दिशानिर्देशों में बहुत सारी सब्जियों और फलों के साथ एक स्वस्थ आहार का सेवन के साथ भोजन से परहेज करना, शराब के अधिक सेवन से बचना, संपर्क खेलों या अन्य गतिविधियों से दूर रहना, जिनमें चोट लगी है रक्तस्राव होने या होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, रोगियों को एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी दवाएं नहीं लेने की भी सलाह दी जाती है क्योंकि वे रक्त प्लेटलेट्स की गिनती कम करते हैं और रक्तस्राव को आसान बनाते हैं।
यदि मरीज उपचार से किसी भी तरह के दुष्प्रभाव से पीड़ित हैं तो उसे तुरंत उपचार के उपायों के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। ठीक होने में कितना समय इस स्थिति के सफलतापूर्वक निदान और उपचार के बाद कम प्लेटलेट काउंट का लक्षण ठीक हो जाता है। उपचार पूरा होने के बाद रक्त प्लेटलेट की गिनती को सामान्य होने में वापस आने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है। लेकिन रोगी को एक स्वस्थ आहार लेने की आवश्यकता होती है।
प्लेटलेट्स दान
(Platelets donation)
कोई भी किसी को कभी-भी प्लेटलेट्स दान दे सकते हैं यदि आप किसी को अपने प्लेटलेट डोनेट करेंगे, तो आपका ब्लड ग्रुप वही होना चाहिए जो मरीज का है इसे देने से किसी तरह की कोई कमजोरी आपको नहीं आयेगी। न ही आपमें किसी तरह की कोई शारीरिक कमी पैदा होगी। यह देना इतना सुरक्षित है कि आप हर सप्ताह दो बार तक प्लेटलेट्स डोनेट कर सकते है, क्योंकि सात दिनों में ही नई प्लेटलेट्स फिर से वापस बन जाती हैं।
परंतु प्लेटलेट्स का जीवन भी कुल सात दिनों का ही होता है इसीलिए ब्लड बैंक में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन के लिए रखी हुई यूनिट्स सात दिनों से ज्यादा नहीं रखी जा सकती। इसके बाद वे फिर खराब हो जाती है इनकी तुलना में ब्लड के दूसरे कंपोनेंट्स लंबे समय तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं इसीलिए प्लेटलेट्स डोनेट करने के तुरंत बाद ही प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन देना होता है।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के घरेलू उपाय
(Home remedies to increase platelets in hindi)
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीता या पपीते की पत्तियां (Papaya or papaya leaves) : प्लेटलेट काउंट ठीक न होने तक इस प्रक्रिया को दिन में एक से दो बार दोहराया जा सकता है। पपीते का अर्क डेंगू में कम होने वाले प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह स्पष्ट नहीं है कि पपीते में मौजूद कौन-सा गुण रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स को बढ़ावा देता है लेकिन माना जाता है कि पपीते के पत्ते के अर्क में मौजूद केमिकल कंपाउंड जैसे एल्कलॉइड, टैनिन, एंट्राक्विनोन, कार्डेनोलाइड्स, स्टेरॉयड, सैपोनिन व फेनोलिक्स शरीर के विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं पर असर डालते हैं।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए अनार (Pomegranate) : अनार में एंटीऑक्सीडेंट व एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे कई गुणों से भरपूर है। यही वजह है कि अनार कई बीमारियों से लड़ने में भी मदद करता है। अनार प्लेटलेट्स को एक जगह एकत्रित होने से रोकता है। इसकी मदद से प्लेटलेट्स काउंट में आने वाली कमी दूर हो जाती है। जब प्लेटलेट्स एक जगह इकट्ठे हो जाते हैं तो प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है और खून के थक्के बन जाते हैं।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए मछली का तेल (fish oil) : मछली का तेल सीधे तौर पर आपके प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद तो नहीं करता है, लेकिन यह प्लेटलेट्स को एकत्रित होने से रोकता है। अगर आपके प्लेटलेट में थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा जैसे रक्त विकार की वजह से कमी आ रही है, तो यह रक्त को जमने से रोकने और ब्लड क्लॉट से आपको बचाने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मछली के तेल में एंटीथ्रोबोटिक प्रभाव पाए जाते हैं।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए विटामिन-सी (Vitamin C) : विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थ भी लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद करते हैं। विटामिन-सी का सेवन थ्रोम्बोथरोस्क्लेरोटिक यानी ऐसा विकार जिसमें आपके धमनियों में ब्लड क्लॉट होने लगता है उससे बचाता है।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां (Green leafy vegetables) : हरी पत्तेदार सब्जियां को फोलेट का अच्छा स्रोत माना जाता है जो कम होते प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। फोलेट की कमी की वजह से भी प्लेटलेट कम हो जाते हैं।
क्या खाना चाहिए प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए
(What to eat to increase platelets)
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए चुकंदर और गाजर (Beet and carrot) : गाजर में फेनोलिक यौगिक पाए जाते हैं, जो पौधों में पाए जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट है। यह शरीर में प्लेटलेट को एकत्र होने से रोकता है। चुकंदर में मौजूद नाइट्रिक ऑक्साइड भी प्लेटलेट को शरीर में एक जगह इकट्ठा होने नहीं देता है। ऐसे में इसकी मदद से प्लेटलेट्स काउंट में आने वाली कमी दूर हो जाती है। जब प्लेटलेट्स एक जगह इकट्ठे हो जाते हैं तो प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है और खून के थक्के बन जाते हैं। लेटलेट्स रक्त विकार की वजह से कम हो रहे हैं तब इन दोनों का जूस का पीना चाहिए।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए नारियल का तेल (coconut oil) : नारियल तेल स्वस्थ वसा और अन्य पोषक तत्वों से समृद्ध होता है। इसलिए इसे सबसे स्वस्थ तेल कहा जाता है। यह कई शारीरिक लाभ पहुंचाने के साथ ही हमारी प्लेटलेट को एक जगह एकत्रि.त होने से रोकता है।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए दूध (Milk) : दूध का उपयोग प्लेटलेट को बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं। दरअसल, दूध में विटामिन बी-12 पाया जाता है, जिसकी कमी से बोन मैरो में पर्याप्त मात्रा में प्लेटलेट नहीं बनता है। इसके अलावा, दूध कैल्शियम, विटामिन-डी, फोलेट और विटामिन-के का भी अच्छा स्रोत है। विटामिन-के प्लेटलेट की कमी की वजह से होने वाले रक्तस्राव को रोकने के लिए लाभदायक है।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए किशमिश (Raisins) : किशमिश लोह तत्व यानी आयरन से भरपूर होती है। यह आरबीसी और प्लेटलेट के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। (स्वास्थ्य के लिए इतना जरूरी किशमिश और मुनक्का) इसकी कमी के कारण थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या कम प्लेटलेट काउंट और एनीमिया जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए, आप प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए अपने आहार लेना चाहिए।
- बस हर रोज खाली पेट खा लें
- आओ एक कप प्याज की चाय
- हल्दी, अदरक और दालचीनी युक्त चाय से फायदे
- अदरक के औषधीय गुणों से कई फायदे
- सर्दियों में अब नहीं कोई दिक्कत
- गेहूं के ज्वार का जूस खाली पेट प्रतिदिन
- नारियल तेल पिए एक चम्मच खाली पेट
- नारियल पानी, काम अमृत जैसा
- जमा चर्बी से जल्द ही छुटकारा
- प्याज करें सर्दी-जुकाम दूर
- दही के साथ भुने जीरे के अनेक फायदे
- एक सेब हर सुबह और फिर देखें फायदे
- नाशपाती खाने से कई फायदे
- अमरूद करे कई बीमारियों का काम तमाम
- आम खाने से लाजवाब फायदे
- केसर का उपयोग और फायदे
- मूली के फायदे और नुकसान
- लहसुन का उपयोग और इसके फायदे और नुकसान
- खजूर से बीमारियाँ भागे दूर
- बेलपत्र का औषधीय महत्व
- पवित्रता की शक्ति तुलसी
- जीवन में पीपल की उपयोगिता
- लाभदायक गुणों से भरपूर निर्गुंडी
- भृंगराज अति-उपयोगी
- पारिजात का पौराणिक महत्व
- पत्थरचट्टा पथरी निकालने में मददगार
- करौंदा- Karonda
- कटहल के सेवन से फायदा कम नुकसान ज्यादा न हो जाए
- इस समस्या से खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है
- कीवी के औषधीय गुण
- तेज पत्ता (डालचीनी)
- एक साथ ये चीजें नहीं खानी चाहिए
- स्वस्थ-स्वास्थ्य के लिए कचनार
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