कचनार में कई रोगों को जड़ से मिटाने की क्षमता होती है। (Kachnar has the ability to eradicate many diseases from its roots.) इसके फूल, पेड़ की पत्तियां, तना में सभी औषधिय गुण होते हैं। गुलाबी कचनार का सबसे ज्यादा बेहतर माना जाता है। कचनार शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली गांठ को गलाने में सक्षम होता है। कचनार पेड़ के फूल बेहद सुंदर होते हैं, मगर इसकी छाल अद्भुत लाभकारी है। इसके रेशों से रस्सी बनाई जाती हैं, तो वहीं इसके पत्तों का साग बनाकर खाया जाता है। कचनार एक औषधी है इसके अनेक औषधीय गुण होते हैं। यह कई रोगों के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाता है।
आयुर्वेदिक औषधियों में ज्यादातर कचनार की छाल का ही उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग रक्त विकार, त्वचा रोग, दाद, खाज-खुजली, एक्जीमा, फोड़े-फुंसी आदि के लिए भी कचनार की छाल का उपयोग किया जाता है। रक्तस्राव, रक्त-पित्त, बवासीर को रोकने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। कचनार की १२ प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमे कुछ बेल का रूप भी धारण कर लेते है।
फूलों की दृष्टि से कचनार तीन प्रकार का होता है- सफेद, पीला और लाल तीनों प्रकार का वृक्ष पूरे देश में मिलते है। इसके कई नाम मिलते हैं संस्कृत- काश्चनार, हिन्दी- कचनार, मराठी- कोरल, कांचन, गुजराती- चम्पाकांटी, गढ़वाली- गुविरियाल-घुरियाल, बंगला- कांचन, तेलुगू- देवकांचनमु, तमिल- मन्दारे, कन्नड़- केंयुमन्दार, मलयालम- मन्दारम्, पंजाबी- कुलाड़, कोल- जुरजु, बुज, बुरंग, सन्थाली- झिंजिर, इंग्लिश- माउंटेन एबोनी, बॉहिनिया वैरीगेटा (Bauhinia variegata) और बॉहिनिया परप्यूरिया (Bauhinia purpurea) कहते हैं।
कचनार के औषधीय गुणों से लाभ (Benefits of medicinal properties of Kachnar in hindi)
कचनार सिर दर्द के लिए आरामदायक (For headache): सिर दर्द होने पर कचनार से लाभ मिलता है। कचनार की छाल को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द से आराम मिलता है।
कचनार दांत दर्द में मददगार (Helpful in toothache): दांत दर्द के लिए कचनार की सूखी टहनियों को जलाकर राख बना लें। इस राख या कोयला से दांतों पर मंजन करें।
कचनार मुंह के छाले के लिए लाभकारी (Beneficial for mouth ulcers): कचनार वृक्ष की छाल और अनार के फूल का काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के छाले की बीमारी दूर होती है। 60 ग्राम कचनार वृक्ष की छाल को 1 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा न रह जाए बन्द न करें। इस पानी से कुल्ले करें।
कचनार खांसी के लिए लाभकारी (Beneficial for cough): कचनार के फूल का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी दूर की जाती है।
कचनार मसूड़ों के दर्द के लिए (Kachnar for gum pain): कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मसूड़ों के दर्द को ठीक किया जा सकता है।
कचनार में कई रोगों को जड़ से मिटाने की क्षमता (Ability to eradicate many diseases in Kachnar)
कचनार गैस के लाभकारी (Gas Beneficiaries): कांचनार की जड़ के काढ़ा में 2 ग्राम अजवायन चूर्ण डालकर पिलाएं। इससे पेट की गैस की परेशानी दूर हो जाती है।
कचनार पाचन तंत्र के लिए लाभकारी (Beneficial for digestive system): कचनार की जड़ का काढ़ा बनाकर इसे दिन में दो बार पिएं। इससे पाचनतंत्र संबंधी विकारों में लाभ होता है।
कचनार पेट के कीड़े मारने के लिए (To kill stomach worms): कचनार की जड़ और पत्ते का काढ़ा बना लें। इसे 20-25 मिली मात्रा में पिएं।
कचनार कब्ज के लिए (For constipation): कचनार के सूखे फूल के चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर खाने से कब्ज की समस्या में लाभ होता है।
कचनार भूख बढ़ाने के लिए (To increase appetite): कचनार में लिवर की कोशिकाओं को स्वस्थ करने का गुण होता है। यह लिवर विकार को दूर कर भूख को बढ़ाता है।
खून में गंदगी को करे दूर (Remove dirt in the blood)
कचनार रक्त साफ करता है (Clears blood clots): कचनार की छाल या फूल का काढ़ा बना लें। इसे ठंडा करके शहद मिला लें। इसे दिन में दो बार सेवन करें। इससे खून साफ होता है।
कचनार बवासीर के लिए लाभकारी (Beneficial for piles): कचनार के तने का पेस्ट बना लें। 1-2 ग्राम पेस्ट को दही के साथ सेवन करने से बवासीर रोग में फायदा होता है। कचनार के सूखे फूल के चूर्ण में बराबर मात्रा में मक्खन और मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
कचनार ल्यूकोरिया के लाभकारी (Leucorrhea benefits): 1-2 ग्राम लाल कचनार फूल की कली का चूर्ण बनाएं। इसका सेवन करने से ल्यूकोरिया रोग में लाभ होता है।
कचनार फोड़े के लिए उपयोगी (Useful for boils): कचनार की जड़ को चावलों के धुले हुए पानी के साथ पीस लें, इसे घाव पर पट्टी के रूप में बांधें।
कचनार नाक-कान से रक्तस्राव (Nose and ear bleeding): कचनार के सूखे फूल का चूर्ण बनाएं। इसे 1 चम्मच मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
कचनार पीलिया रोग के लिए (For jaundice disease): कोविदार के पत्तों का पेस्ट बना लें। व्याघएरण्ड का दूध निकालकर इसमें मिलाएं और सेवन करें।
कचनार कैंसर से बचाव (Cancer prevention): कचनार की छाल का प्रयोग कर कैंसर से बचाव कर सकते हैं। कचनार में कैंसररोधी गुण पाये जाते है।
कचनार एक औषधि है इसके अनेक औषधीय गुण (Kachnar is a medicine, its many medicinal properties)
कचनार दस्त के लिए (To diarrhea): कचनार ठंडा होता है इसलिए यह दस्त की समस्या को दूर करता है।
कचनार थायराइड के लिए (For thyroid): कचनार की पत्तियों का चूर्ण लेने से थायरॉइड ग्रंथि से संबंधित रोगों को दूर करता है। यह थायरॉइड ग्रंथि के आकार को नियंत्रित करने में सहायता करता है।
कचनार पेशाब में खून आने की परेशानी में लाभ (Blood in urine): कांचनार के फूल का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे पेशाब में खून आने की परेशानी में लाभ होता है।
कचनार रसौली के लिए (For rasoli): कचनार की जड़ को चावलों के धुले हुए पानी के साथ पीस लें। इसे पट्टी के रूप में रसौली, और पेट पर बांधें। इससे रसौली जल्दी पक जाता है।
कचनार बुखार में लाभकारी (Beneficial in fever): काचनार के पत्ते का काढ़ा बनाएं। इसे 20-25 मिली मात्रा में पीने से बुखार के कारण होने वाले सिर दर्द से आराम मिलता है।
कचनार कुबड़ापन (Hunch): अगर कुबड़ापन का रोग बच्चों में हो तो उसके पीठ के नीचे कचनार का फूल बिछाकर सुलाने से कुबड़ापन दूर होता है। लगभग 1 ग्राम का चैथाई भाग कचनार और गुग्गुल को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से कुबड़ापन दूर होता है।
अपनाएं आयुर्वेद लाइफस्टाइल (Adopt ayurveda lifestyle in hindi)