पारिजात का पौराणिक महत्व
पारिजात का पौधा आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसके फल, पत्ते, बीज, फूल और यहां तक कि इसकी छाल तक का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। पारिजात के फूल को भगवान श्रीहरि के श्रृंगार और पूजन में प्रयोग किया जाता है, इसलिए इस मनमोहक और सुगंधित पुष्प को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। इस वृक्ष का अपना बहुत महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि पारिजात को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकावट मिट जाती है। यह फूल रात में ही खिलता है और सुबह होते ही इसके सारे फूल झड़ जाते हैं। इसलिए इसे रात की रानी भी कहा जाता है। हरसिंगार का फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प भी है। दुनिया भर में इसकी सिर्फ पांच प्रजातियां पाई जाती हैं।
कहा जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल अत्यंत प्रिय हैं। पूजा-पाठ के दौरान मां लक्ष्मी को यह फूल अर्पित करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। पूजा-पाठ में पारिजात के वे ही फूल इस्तेमाल किए जाते हैं जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते हैं। पूजा के लिए इस वृक्ष से फूल तोड़ना पूरी तरह से निषिद्ध है। एक मान्यता ये भी है 14 साल के वनवास के दौरान माता सीता हरसिंगार के फूलों से ही अपना श्रृंगार करती थी। बाराबंकी जिले के पारिजात का वृक्ष को महाभारत के समय का माना जाता है। मान्यता है कि परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में लगाया था। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान माता कुंती ने पारिजात पुष्प से शिव पूजन करने की इच्छा जाहिर की थी।
माता की इच्छा पूरी करने के लिए अर्जुन ने स्वर्ग से इस वृक्ष को लाकर यहां स्थापित कर दिया था। पारिजात के पत्तों में एंटी-आर्थि्रटिक गुण होते हैं। इसके अलावा, पत्तियों के काढ़े से लीवर की रक्षा करने वाले, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एनाल्जेसिक, एंटीपायरेटिक, एंटी-इंफ्लैमेटरी, एंटीस्पास्मोडिक, हाइपोटेंसिव जैसे गुण भी पाए जाते है। इसकी पत्तियों में एंटी-लीशमैनियल गुण भी होते हैं, जो शरीर में परजीवियों को खत्म करने, जैसे पेट की कीड़ों की समस्या दूर करने में भी मदद कर सकते हैं। पारिजात के फूलों से सुगंधित तेल प्राप्त किया जाता है। इसमें निक्टैन्थीन नामक द्रव्य ग्लूकोसाइड की मात्रा होती है। हरसिंगार के पत्तों और फूलों में एंटी बैक्टीरियल और एंटी एलर्जिक गुण भी भरपूर मात्रा में पाए जा सकते हैं।
- बस हर रोज खाली पेट खा लें
- आओ एक कप प्याज की चाय
- हल्दी, अदरक और दालचीनी युक्त चाय से फायदे
- अदरक के औषधीय गुणों से कई फायदे
- सर्दियों में अब नहीं कोई दिक्कत
- गेहूं के ज्वार का जूस खाली पेट प्रतिदिन
- नारियल तेल पिए एक चम्मच खाली पेट
- नारियल पानी, काम अमृत जैसा
- जमा चर्बी से जल्द ही छुटकारा
- प्याज करें सर्दी-जुकाम दूर
- दही के साथ भुने जीरे के अनेक फायदे
- एक सेब हर सुबह और फिर देखें फायदे
- नाशपाती खाने से कई फायदे
- अमरूद करे कई बीमारियों का काम तमाम
- आम खाने से लाजवाब फायदे
- केसर का उपयोग और फायदे
- मूली के फायदे और नुकसान
- लहसुन का उपयोग और इसके फायदे और नुकसान
- खजूर से बीमारियाँ भागे दूर
- बेलपत्र का औषधीय महत्व
- पवित्रता की शक्ति तुलसी
- जीवन में पीपल की उपयोगिता
- लाभदायक गुणों से भरपूर निर्गुंडी
- भृंगराज अति-उपयोगी
- पारिजात का पौराणिक महत्व
- पत्थरचट्टा पथरी निकालने में मददगार
- करौंदा- Karonda
- कटहल के सेवन से फायदा कम नुकसान ज्यादा न हो जाए
- इस समस्या से खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है
- कीवी के औषधीय गुण
- तेज पत्ता (डालचीनी)
- एक साथ ये चीजें नहीं खानी चाहिए
- स्वस्थ-स्वास्थ्य के लिए कचनार
पारिजात से अनेकों लाभ
(Many benefits from Parijat in hindi)
पारिजात पाचन के लिए (Digestion ) : हरसिंगार का इस्तेमाल पाचन प्रक्रिया के लिए अच्छा होता है। इसकी पत्तियों के रस के उपयोग से पेट में मौजूद भोजन को पचाने में मदद मिलती है। हरसिंगार में एंटी स्पस्मोडिक गुण पाए जाते हैं, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ बनता है।
पारिजात अस्थमा के लिए (For asthma) : औषधीय अध्ययनों के मुताबिक हरसिंगार के पत्ते एंटी-अस्थमाटिक और एंटी-एलर्जीक गुणों से समृद्ध होते हैं। इसकी पत्तियों का अर्क नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ाकर नाक की नली को आराम पहुंचाने में मदद कर सकता है। अस्थमा में नाक की नली सूज जाती है और उसके आसपास की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। प्राचीन काल से ही हरसिंगार का इस्तेमाल अस्थमा को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। इसके फूलों को सूखाकर पाउडर बनाने के बाद इसे उपयोग में लाया जा सकता है।
पारिजात साइटिका रोग के लिए (Sciatica) : इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है। यह हलका, रूखा, तिक्त, कटु, गर्म, वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, मृदु विरेचक, शामक, उष्णीय और रक्तशोधक होता है। सायटिका रोग को दूर करने का इसमें विशेष गुण है।
पारिजात गठिया रोग के लिए (Arthritis) : हरसिंगार में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, इसलिए यह गठिया के मरीजों के लिए लाभदायक होता है। हरसिंगार का अर्क गठिया को बढ़ने से रोक सकता है।
पारिजात तनाव के लिए (Stress) : हरसिंगार का पौधा एंटीडिप्रेसेंट गुण से समृद्ध होता है। ऐसे में इसके सेवन से आप तनाव और अवसाद से खुद को बचा सकते हैं।
पारिजात मांसपेशियों के दर्द के लिए: हरसिंगार के पत्तों का रस एवं अदरक का रस आपस में मिलाकर प्रातः खाली पेट पीने से मांसपेशियों का दर्द समाप्त हो जाता है।
पारिजात एंटीबैक्टीरियल के लिए (Antibacterial) : हरसिंगार के फूल का इस्तेमाल कई तरह के बैक्टीरियल रोगों से लड़ने के लिए किया जाता है, जैसे जुखाम, बुखार और खांसी। दरअसल, हरसिंगार में भरपूर एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर को कीटाणुओं से बचाकर स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
पारिजात हृदय संबंधी रोग के लिए (Cardiovascular) : उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और मोटापे के कारण हृदय का स्वास्थ्य बिगाड़ जाता है। हरसिंगार की जड़ की छाल के इस्तेमाल से डायबिटीज के दौरान बढ़ने वाले लिपिड सिरम और ट्राइग्लिसराइड्स को कम किया जा सकता है।
पारिजात प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए (To increase immunity) : हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल हर्बल टी के तौर पर किया जा सकता है। जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने का सबसे अच्छा स्त्रोत हो सकता है। इसके पत्तों का इस्तेमाल चाय में करने के साथ ही, इसका रस भी नियमित रूप से पिया जा सकता है।
पारिजात डेंगू रोग के लिए (Dengue) : डेंग के समय हड्डियों के दर्द को कम करने के लिए में सहायता करता है। शरीर के इस दर्द को दूर करने के लिए हरसिंगार की पत्तियों से बने काढ़े का उपयोग चाहिए।
पारिजात पाइल्स रोग के लिए (Piles) : हरसिंगार के इस्तेमाल से पाइल्स के जोखिम को दूर कर सकते हैं। पाइल्स के कारण मल द्वार में सूजन आ जाती है जिससे मल निकासी में परेशानी होती है। हरसिंगार में लैक्सेटिव और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जिससे मल निकासी में मदद मिलेगी और सूजन को भी आराम मिलता है। पाइल्स की समस्या कब्ज की वजह से भी हो सकती है। ऐसे में आप हरसिंगार के फूलों और बीजों का इस्तेमाल कब्ज और पाइल्स दोनों को ठीक करने में किया जाता है।
पारिजात एसिडिटी के लिए (Acidity) : हरसिंगर लैक्सेटिव गुणों से समृद्ध होता है। यह पाचन प्रक्रिया में मदद करता है और गैस की समस्या को दूर करने में सहायता करता है।
पारिजात खांसी के लिए (Cough) : हरसिंगार बतौर एक्सपेक्टोरेन्टे शरीर में काम कर सकता है। एक्सपेक्टोरेंट बलगम को गले से निकालने और खांसी ठीक करने में मदद करता है। साथ ही इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं जो खांसी से संबंधित बैक्टीरिया को शरीर में नष्ट करने का काम करता है।
पारिजात घाव के लिए (Wound) : हरसिंगार का इस्तेमाल घाव को भरने के लिए भी किया जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण घाव को भर सकते हैं।
पारिजात डायबिटीज के लिए (Diabetes) : हरसिंगार में लिनोलिक एसिड पाया जाता है जो डायबिटीज को कम करने में मदद करता है। हरसिंगार की जड़ की छाल में महत्वपूर्ण एंटी-डायबिटिक गतिविधि पाई गई है। यह अर्क में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है।
पारिजात संक्रमण रोक-थाम के लिए (Infection prevention) : दाद-खुजली एक त्वचा संक्रमण है जो फंगस के कारण शरीर पर होता है। हरसिंगार के बीज, पत्तियां व फूल सभी में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो दाद को ठीक करने में मदद करता है। दाद-खुजली वाली जगह में हरसिंगार का पेस्ट लगाना चाहिए।
पारिजात मलेरिया के लिए (Malaria) : मलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो घातक भी सिद्ध हो सकती है। यह बीमारी पैरासाइट से संक्रमित मच्छरों के काटने की वजह से होती है। मलेरिया से बचाने में हरसिंगार आपकी मदद कर सकता है। हरसिंगार में पैरासाइट को खत्म करने की ताकत होती है।
पारिजात बुखार के लिए (Fever) : हरसिंगार की जड़ और पत्तों में एंटीपाइरेटिक गुण पाए जाते हैं, जो बुखार में सहायता करता है। हरसिंगार के पत्तों के रस को सीधे पीने से या इसमें अदरक मिलाकर पीने से बुखार में राहत मिलती है।
पारिजात बालों की रूसी के लिए (Dandruff ) : हरसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही यह रूसी और सफेद बालों को भी ठीक करता है। 50 ग्राम हरसिंगार के बीज पीस कर 1 लीटर पानी में मिलाकर बाल धोने से रुसी समाप्त हो जाती है।
पारिजात सौन्दर्य वर्धक के लिए (Beauty enhancer) : हरसिंगार के फूलों का पेस्ट और मैदा को दूध मिलाकर उबटन बना लें। शरीर पर लेप करने के 30 मिनट बाद स्नान कर लें। इस प्रयोग से त्वचा में निखार आता है। इसके तेल से मसाज करने पर त्वचा में लचीलापन आता है।