नसों में कमजोरी क्यों आती है?
(Why weakness comes in veins? in hindi)
(Why weakness comes in veins? in hindi)
नसों की कमजोरी या न्यूरोपैथी एक चिकित्सकीय स्थिति है, जो सामूहिक रूप से विभिन्न तंत्रिका विकारों को परिभाषित करते हैं। (Nerve weakness or neuropathy is a medical condition, which collectively define various nervous disorders) शरीर के कुछ हिस्सों में नसों की कमजोरी स्थिर या अस्थायी हो सकती है। नसों की कमजोरी के फलस्वरूप मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, विभिन्न नसों और मांसपेशियों के बीच संबंध क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त हो सकता है। किसी भी व्यक्ति में नसों की कमजोरी की समस्या अचानक या धीरे-धीरे विकसित हो सकती है। नसों की कमजोरी शरीर के सभी हिस्सों या केवल एक ही हिस्से को प्रभावित कर सकती है।
नसों की कमजोरी के कारण
(Nason ki kamjori ke karan in hindi)
रीढ़ की हड्डी के क्षतिग्रस्त होने पर केवल पैरों की नसों में कमजोरी उत्पन्न हो सकती है। नसों की कमजोरी के लक्षण, प्रभावित भाग पर निर्भर करते हैं। छाती की नसों में कमजोरी के फलस्वरूप सांस लेने में कठिनाई से सम्बंधित लक्षण प्रकट हो सकते है। शरीर का महत्वपूर्ण अंग नसें होती हैं, जो शरीर में रक्त का संचालन करती है। इसकी सुचारू प्रतिक्रिया से ही स्वस्थ रह सकता है, लेकिन जब यह किसी वजह कमजोर पड़ जाती हैं और तब कई प्रकार से शरीरिक समस्याओं होने लगती है। शरीर कोई भी हिस्सा जैसे पीठ, कमर, हाथ, गर्दन आदि की नस के दबने से होने वाला दर्द काफी असहनीय होता है। इसकी वजह से कोई भी काम सही ढंग से नही कर पाते।
नसें शरीर मे मौजूद कई अंगों से होकर गुजरती है और जब कोई अंग कमजोर पड़ता है तो सबसे पहले वहाँ की नसों पर इफेक्ट पड़ता है। शरीर की नसें गलत व्यायाम करने से वजन बढ़ने की वजह से या किसी अन्य वजहों के कारण दब जाती है और शरीर के उस हिस्से में दर्द होने लगता है। जिसकी वजह से हमारा रक्त उस अंग में नही पहुंच पाता जिससे वह कमजोर पड़ने लगती हैं। दबी हुई नस को हो सके तो दबाना या मोड़ना नही चाहिए यदि सूजन हो तो सूजन कम करने के लिए बर्फ और गर्म चीजों से बारी-बारी से मसाज करें। ज्यादा से ज्यादा आराम करें। आराम पाने के लिए ज्यादा दबाव न डालें हल्की मालिश ही करें।
कमजोर नसों की पहचान
(Identification of weak nerves)
यदि आपके शरीर की नसें कमजोर हो गई हैं, तो इससे शरीर में होने वाले इफेक्ट की पहचान करना जरूरी होता है, जिससे सही इलाज करने में सहायता मिलती है। यदि याददास्त घटने लगे तो नसें कमजोर पड़ने लगी हैं। चक्कर आना भी एक संकेत है, क्योंकि नसें कमजोर है उनमें रक्त संचारित नही हो पाता रहा। रक्त जब शरीर में सही ढंग से नही सर्क्युलेट होता तो आंखों के आगे उठने-बैठने के समय अंधेरा छाने लगता है। अपच होना भी एक संकेत है। आहार में पोषक तत्वों की कमी होना, शरीर में विटामिन डी की कमी होना, तंत्रिका कार्यों को प्रभावित करने वाले जन्मजात दोष या आनुवंशिक असामान्यताएं, पिन और सुई जैसी चुभन या गुदगुदी की अनुभूति होना, दर्द या पीड़ा का अनुभव होना, झुनझुनी और सुन्नता, चिंता और अवसाद की भावनाएं उत्पन्न होना।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली से सम्बंधित समस्याएँ, थकान महसूस होना, देखने, सूंघने, स्वाद लेने, सुनने या स्पर्श का अनुभव करने की क्षमता में कमी, ज्ञान संबंधी समस्याएं उत्पन्न होना, मांसपेशियों की कमजोरी और मांसपेशियों को नुकसान पहुंचना, चलने के दौरान हाथ पैर कांपना, साइटिका नर्व रूट पर दवाब पड़ने के कारण साइटिका की समस्या उत्पन्न हो सकती है। साइटिका दर्द की वह स्थिति है, जिसमें दर्द पीठ के निचले हिस्से शुरू होकर पैरों तक फैलता है। डायबिटिक न्यूरोपैथी तंत्रिका की क्षति का एक प्रकार है, जो मधुमेह की स्थिति में उच्च रक्त शर्करा के कारण नसों के क्षतिग्रस्त होने का कारण बनती है।
नसों की कमजोरी से कैसे बचा जाए?
(How to avoid nerve weakness?)
धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों का सेवन न करें। पर्याप्त आराम करें। अधिक मात्रा में तरल पदार्थ और पानी का सेवन करें। शराब और नशीली दवाओं के सेवन से बचें। उचित व्यायाम करें और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में वृद्धि करें। तनाव की स्थिति से दूर रहें।
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कमजोर नसों के लिए कारगर
(Effective for weak nerve in hindi)
नसों की कमजोरी के लिए पुदीने का तेल: यदि नसों में बहुत दर्द होता है, तो दर्द से प्रभावित क्षेत्र में पुदीने के तेल से मालिश करें। इससे आपको नसों के दर्द से राहत मिलेगी।
नसों की कमजोरी के लिए तेल मालिश: नसों की कमजोरी का आयुर्वेदिक इलाज तेल मालिश, बादाम तेल या तिल के तेल की मालिश, नसों की कमजोरी को दूर करने और तंत्रिका तंत्र स्वस्थ तथा सक्रिय रखने में मदद कर सकता है। बादाम या तिल के तेल को पर्याप्त मात्रा में लेकर इसे थोड़ा गर्म करें और शरीर की मालिश कराएं। यह उपाय प्रतिदिन स्नान से आधे घंटे पहले अपनाएँ।
नसों की कमजोरी के लिए सेंधा नमक: एप्सम साल्ट का उपयोग नसों की कमजोरी के इलाज के साथ-साथ मांसपेशियों में दर्द और सूजन की स्थिति को भी दूर करने के लिए भी किया जाता है। सेंधा नमक में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण और उच्च मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाती है जो तंत्रिका कमजोरी के इलाज के लिए फायदेमंद है। नहाने के पानी में एक कप सेंधा नमक मिलाकर शरीर को 15 से 20 मिनट तक भिगोएँ रखें और फिर साफ पानी से नहायें। यह उपाय हफ्ते में कम से कम तीन बार अपनाना चाहिए।
शरीर की नसों को स्वस्थ कैसे रखें
(How to keep the body's nerves healthy in hindi)
नसों की कमजोरी के लिए वाटर थेरेपी: बारी-बारी से ठंडा और गर्म पानी कमजोर या क्षतिग्रस्त नसों के कारण होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। वाटर थेरेपी के तहत सामान्य पानी या गर्म पानी से स्नान करने के बाद ठंडे पानी से स्नान करें। इसके अतिरिक्त एक दिन गर्म स्नान और एक दिन ठंडा स्नान अपनाया जा सकता है, लेकिन स्नान समाप्त करने के बाद ठंडा पानी शरीर से डालना जरुरी है।
नसों की कमजोरी के लिए सुबह-सुबह धूप सेकना: नसों की दुर्बलता अक्सर विटामिन डी की कमी से सम्बंधित होती है। चूँकि सूर्य की किरणें शरीर द्वारा विटामिन डी के अधिक उत्पादन में मदद करती हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह की धूप सेकना पर विचार करना चाहिए।
नसों की कमजोरी के लिए लेवेंडर का फूल: लेवेंडर का फूल तथा सुइया को नहाने के पानी में मिला कर नहाएं ।
नसों की कमजोरी के लिए बेर की गुठलियां: नसों की कंजोरी को दूर करने के लिए बेर की गुठलियों को गुड़ के साथ खाएं जिससे की नसों में मजबूती आएगी।
नसों की कमजोरी के लिए गाय का दूध: नसों की कमजोरी को दूर करने के लिए गाय के दूध के साथ मक्खन, मिश्री भी खा सकते है, जिससे काफी हद तक नसों की कमजोरी में आराम मिलता है।
नसों की कमजोरी का घरेलू इलाज
(Home remedies for veins)
नसों की कमजोरी के लिए किसमिस: किसमिस शरीर में अन्य लाभ पहुंचाने के साथ ही नसों की कमजोरी का भी लाभदायक होता है।
नसों की कमजोरी के लिए अश्वगन्धा: अश्वगन्धा 100 ग्राम, सतावर 100 ग्राम, बाहीपत्र 100 ग्राम, इसबगोल की भूसी 100 ग्राम, ताल मिश्री 400 ग्राम इस सबका एक मिश्रण बना ले और उस मिश्रण को सुबह व शाम को दूध के साथ लें। लगभग एक महीने के प्रयोग से ही शरीर की रक्त क्षमता बढ़ जाती है। और नशों में ताकत आजाती है।
नसों की कमजोरी के लिए कैमोमाइल-टी: कैमोमाइल टी सबसे हेल्दी पेय पदार्थों में से एक होता है। कैमोमाइल मूल रूप से एक जड़ी बूटी होती है जो फूल से ली जाती है। एक कप पानी में सूखे कैमोमाइल को डालें और पांच मिनट के लिए उबालें। अब पानी को हल्का ठंडा होने दें और उसके स्वादा के अनुसार शहद मिलाएं। कैमोमाइल चाय रोजाना तीन से चार बार पिएं।
नसों की कमजोरी के लिए ग्रीन-टी: ग्रीन-टी तंत्रिका तंत्र के लिए भी बहुत अच्छा होता। इसमें एल-थीनिन नाम का तत्व होता है, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा, ग्रीन टी तनाव संबंधी विकारों से भी ठीक करने में मदद करती है। एक ग्रीन टी बैग लें और इसे पांच-दस मिनट तक एक कप गर्म पानी में डिप करें। उसके बाद पानी को थोड़ा ठंडा होने दें और स्वाद के अनुसार शहद मिलाएं।
नसों की कमजोरी दूर करें
(Nason ki kamjori door karein)
नसों की कमजोरी के लिए विटामिन्स: विटामिन बी, और विटामिन डी, विटामिन बी12 से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन तंत्रिका तंत्र के कामकाज को स्वस्थ बनाए रखने का उचित तरीका है। यह विटामिन सूजन को कम करने में मदद करने के साथ-साथ अस्थि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम की अवशोषण क्षमता को बढ़ाता है।
नसों की कमजोरी के लिए मैग्नीशियम : तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए मैग्नीशियम एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों को बढ़ावा देता है जिससे नसों की सूजन को दूर करने में मदद मिलती है। यह तंत्रिका तंत्र को आराम पहुँचाने के लिए सेरोटोनिन नामक रसायन के उत्पादन को बढ़ाता है।
नसों की कमजोरी के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड: ओमेगा-3 फैटी एसिड पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जो तंत्रिका तंत्र संबंधी रोगों से लड़ने के लिए फायदेमंद होते हैं। नसों की कमजोरी और क्षतिग्रस्त नसों की वसूली करने के लिए प्रतिदिन ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ के अधिक सेवन की सलाह दी जाती है।
योग, व्यायाम नसों की कमजोरी के लिए
(Yog, vyayam naso ki kamjori ke liye in hindi)
नसों की कमजोरी के लिए योग, व्यायाम: यदि नसों में बहुत दर्द होता है तो आपको नियमित व्यायाम करना चाहिए जिससे नसों को बहुत लाभ होता है और इसमें पड़ी हुई गांठ भी धीरे-धीरे ठीक हो जाती है। कमजोर तंत्रिका तंत्र में सुधार के लिए नंगे पैर चलना, जमीन पर नंगे पांव चलने से तंत्रिका तंत्र सम्बन्धी कार्यों को ठीक करने में मदद मिल सकती है। माना जाता है कि पृथ्वी की सतह से इलेक्ट्रॉन मानव शरीर में तनाव के स्तर और शरीर में सूजन की स्थिति को कम करके में योगदान देते हैं। नसों की कमजोरी को कम करने के लिए नम धरती या रेतीले समुद्र तट पर नंगे पांव चलने की सलाह दी जाती है। नसों की कमजोरी से बचने के लिए गहरी सांस लें, प्रतिदिन योग और अभ्यास करते समय गहरी सांस लेना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता हैं।
नसों की कमजोरी के लिए भस्त्रिका प्राणायाम: भस्त्रिका प्राणायाम करने से भी नसों के रोगी को बहुत लाभ होता है। लाभ होता है इसलिए रोजाना यह प्राणायाम करें।
नसों की कमजोरी के लिए अनुलोम विलोम: अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से भी नसों में होने वाली दिक्कत को एक दम से दूर किया जा सकता है और बहुत दिनों तक करेंगे तो ये बीमारी जड़ से खत्म हो जाएगी।