(Fenugreek Benefits)
मेथी एक वनस्पति है जो कई रूप में मिलती है जैसे कि मेथी, मेथी के दाने, मेथी के पत्ते, मेथी का पाउडर आदि। आयुर्वेद में मेथी का अपना महत्वपूर्ण स्थान है, मेथी अनेक रोगों की दवा भी है। इसके बीजों का प्रयोग मसालों के साथ-साथ औषधि के रूप में किया जाता है। प्रसूती में स्त्री को मेथी के लड्डू विशेष रूप से दिये जाते हैं। मेथी और मेथी के तेल डायबिटीज को नियंत्रित करने और गाँठ को बनने से रोकने के गुण होते हैं। मेथी दाने में अच्छी मात्रा में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। इसमें कई तरह के विटामिन पाए जाते हैं जैसे कि फोलिक एसिड, थायमिन, नियासिन, विटामिन के, विटामिन ए और विटामिन बी6। इसमें कई तरह के मिनरल्स भी पाए जाते हैं जैसे कि जिक, सेलेनियम और मैग्नीशियम।
मेथी स्वास्थ्य के अति लाभकारी (Fenugreek very beneficial for health)
मेथी का ग्लूकोज लेवल पर नियंत्रण (Fenugreek control Glucose level): मेथी के पत्तों में घुलने वाले फाइबर होते हैं जो पाचन शक्ति को धीरे कर देते हैं। जिससे ब्लड शुगर लेवल सामान्य बना रहता है। साथ ही हमारे इंसुलिन प्रतिरोध को कम रखता है।
मेथी कोलेस्ट्रॉल को कम करती है (Fenugreek lowers cholesterol): मेथी दाने के सेवन से कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण रहता है। यह पानी में आसानी से घुलने के कारण बिना पचे हुए खाने में मिलता है।
मेथी का दाना कई बीमारियों को दूर करता है (Fenugreek seeds cure many diseases)
मेथी हृदय रोग के लिए (Fenugreek for heart disease): एंटीआक्सीडेंट गुणों के कारण मेथी हृदय रोग के लिए लाभकारी है। यह रक्त-संचार को सही रखता है। मेथी में घुलनशील फाइबर होता है जो हृदय रोग के खतरे को घटाता है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए मेथी के 10-15 मिली काढ़े में शहद मिलाकर पिएं। मेथी के दाने खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करते हैं। रोजाना मेथी के दानों के चूर्ण का सेवन करने से खराब कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं।
लीवर के लिए मेथी (Fenugreek for liver): मेथी में एंटी-ऑक्सीडेंट और हिपेटो-प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं। यह लीवर के लिए भी लाभदायक होता है।
न्यूरो समस्याओं के लिए मेथी (Fenugreek for neuro problems): 1-2 ग्राम मेथी के बीज का चूर्ण सेवन करें। इससे तंत्रिका-तंत्र से संबंधित विकारों में लाभ होता है। इसके इस्तेमाल से धीरे-धीरे तंत्रिका-तंत्र की समस्याएं ठीक होने लगती हैं।
मेथी का पानी रोज पिए स्वस्थ रहिये (Drink fenugreek water daily, stay healthy)
त्वचा रोग के लिए मेथी (Fenugreek for skin disease): मेथी का लेप बना लें। इसे त्वचा रोग जैसे दाद-खाज-खुजली या एग्जिमा वाले स्थान पर लगाएं। यह लाभ दिलाता है।
सूजन में मेथी के फायदे (Benefits of fenugreek in inflammation): मेथी में एंटी-इनफ्लेमेटरी गुण भी पाया जाता है। किसी भी प्रकार की सूजन होने पर मेथी के पत्तों एवं बीजों को पीसकर लगाने से आराम मिलता है। मेथी के बीज और जौ के आटे को सिरके के साथ पीस लें।
अर्थराइटिस के लिए (Fenugree for Arthritis): दरअसल गठिया (अर्थराइटिस) वात दोष के कारण होता है। मेथी में वात को संतुलित करने के गुण पाए जाते हैं। यह गठिया के दर्द को कम करने में मदद करता है।
रक्तचाप पर मेथी का नियंत्रण (Fenugreek control): रक्तचाप की समस्या है तो मेथी से लाभ ले सकते हैं। मेथी में एंटी-हाइपरटेन्सिव का गुण होता है जिससे यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
वजन कम करने के लिए मेथी (Fenugreek to lose weight): वजन कम करने का मतलब होता है कैलोरी का सेवन कम करना। मेथी के विशेष गुण के कारण खाना पेट में जमा रहता है। पेट में खाना लंबे समय के लिए जमा रहने के कारण भूख नहीं लगती है। भूख ना लगने से बार-बार खाना नहीं खाते हैं जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।
मेथी के दाने का सेवन किडनी के लिए (Consumption of fenugreek seeds for kidney): खाना खाते समय हम ऐसी कई चीजें खा लेते हैं जिनमें कैमिकल होता है जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है। इन्हीं कैमिकल से मेथी के दाने किडनी को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
मेथी के दानों का सेवन गलत तरीके से और गलत मात्रा में करने से इसके नुकसान भी हो सकते हैं। मेथी के दानों का सेवन करने से ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य बना रहता है। लेकिन अगर सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाता है तो यह ब्लड ग्लूकोज के लेवल को बहुत कम कर देगा जो शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।जिन लोगों को शुगर की बीमारी है वो लोग डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही मेथी के दानो का सेवन करें। मेथी के दानों से एलर्जी की शिकायत बहुत ही ज्यादा कम है लेकिन यह खतरनाक हो सकती है। मेथी के दानो से एलर्जी होने के आसार में आपको सांस लेने पर तकलीफ होगी, आपका चेहरा सूज जाएगा आदि। इसलिए मेथी के दानो का सेवन संभल कर करें। मेथी के दानो का अधिक मात्रा में सेवन करने सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। यह बीमारी आगे चलकर अस्थमा का रुप ले सकती है।
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