बेलपत्र का धार्मिक और औषधीय महत्व- Religious and medicinal importance of Belpatra

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बेलपत्र का धार्मिक और औषधीय महत्व
(Religious and medicinal importance of Belpatra in hindi)

भारतीय ग्रंथों में इसे दिव्य वृक्ष कहा गया है। (In Indian Granth it is called the divine tree) इस वृक्ष में लगे हुए पुराने पीले पड़े हुए फल, एक साल के बाद पुनः हरे हो जाते हैं। इस वृक्ष की छाया ठंडक देती है और स्वस्थ बनाती है। (The shade of this tree cools and makes it healthy) हिंदू धर्म में भगवान शिव-पार्वती की पूजा के लिए बेल का उपयोग किया जाता है। 

बेल के फल का जीवनकाल काफी लंबा होता है। पेड़ से टूटने के कई दिनों बाद भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। बेल का इस्तेमाल कई तरह की दवाइयों को बनाने में तो किया जाता है ही साथ ही ये कई स्वादिष्ट व्यंजनों में भी प्रमुखता से इस्तेमाल होता है। बेल में प्रोटीन, बीटा-कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। कई लोग बेल का शर्बत भी पीते हैं।

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आयुर्वेद के अनुसार बेल के कई फायदे हैं इसी कारण  औषधि के रूप इसका प्रयोग किया जाता है। बेल की तरह ही इसके पत्ते भी गर्मी से राहत दिलाते है। बेल की कोमल पत्तियों को सुबह−सुबह चबाकर खाने और फिर ठंडा पानी पीने से शूल तथा मानसिक रोगों में शांति मिलती है। शरीर में गर्मी बढ़ने पर या मुंह में गर्मी के कारण अगर छाले हो जाएं तो बेल की पत्तियों को मुंह में रखकर चबाने से लाभ मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं। 

लू लगने पर इसके पत्तों को पैरों पर मलने पर आराम मिलता है। बेल कई रोगों की रोकथाम कर सकता है तो कई रोगों को ठीक करने के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। आप कफ-वात विकार, बदहजमी, दस्त, मूत्र रोग, पेचिश, डायबिटीज, ल्यूकोरिया में बेल के फायदे ले सकते हैं। इसके अलावा पेट दर्द, हृदय विकार, पीलिया, बुखरा, आंखों के रोग आदि में भी बेल के सेवन से लाभ मिलता है। 

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बेलपत्र का औषधीय महत्व (Medicinal importance of Belpatra)

बेल आंखों की चुभन दूर करता है (Bel removes stinging eyes): आंखों में दर्द होने पर बेल के पत्तों का रस, स्वच्छ पतले वस्त्र से छानकर एक-दो बूंद आंखों में डालें। इससे आंखों की दर्द चुभन ठीक होती है। साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। 

बेल सिर दर्द में फायदेमंद (Wood apple is feneficial in headache): बेल की सूखी हुई जड़ को थोड़े जल के साथ गाढ़ा पीस लें। इसके पत्ते का पेस्ट बना लें। इसे मस्तक पर लेप करने से सिर दर्द से आराम मिलता है। एक कपड़े को बिल्व के पत्ते के रस में डूबोएं। यह पट्टी सिर पर रखने से सिर दर्द में लाभ होगा।

बेल दिल संबंधी रोगों के लिए फायदेमंद (Wood apple is beneficial for heart related diseases): दिल के रोगियों के लिए बेल के पत्ते अमृत की तरह काम करते है। इसका काढ़ा बनाकर पीने से दिल के दौरा का खतरा कम हो जाता है। साथ ही इससे दिल मजबूत होता है और ठीक तरह से काम करता है। 

बेल फ्रूट खाने से खून साफ होती है (Eating bel fruit purifies the blood): बेल के रस में कुछ मात्रा गुनगुने पानी की मिला लें इसमें थोड़ी सी मात्रा में शहद डालें। इस पेय के नियमित सेवन से खून साफ हो जाता है।

बेल फ्रूट खाने से इन्फेक्शन दूर होता है (Eating bell fruit cures infection): इसमें एंटीमाइक्रोबायल गुण है इसमें एंटी वायरल और एंटी फंगल गुण शरीर में विभिन्न संक्रमणों के इलाज में मदद करते है। 

बेलपत्र के स्वास्थ्य लाभ (Health benefits of belapatra)

बेल फ्रूट खाने से खांसी जुकाम नहीं होता है (Eating bel fruit does not cure cough and cold): बेल के पत्ते की तासीर गर्म और कफ वात को शांत करने वाली होती है। मौसम बदलने पर होने वाले सर्दी, जुकाम और बुखार आदि की समस्याएं के लिए इसका सेवन फायदेमंद होता है। ऐसे में बेलपत्र के रस में शहद मिलाकर पीना फायदेमंद है।

बेल मोच के लिए फायदेमंद  (Bel is beneficial for sprain): मोच व अंदरूनी चोट आदि लगने पर भी बेल पत्र का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अंदर मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण चोट को भरने में सहायता करते है। बेल पत्रों को पीस कर थोड़े गुड़ में पकाइए। इसे थोड़ा गर्म पोटली बनाकर चोट की जगह पर लगा दे।

बेल फ्रूट खाने से बवासीर में फायदा मिलता है (Eating bel fruit is beneficial in piles): बेल की जड़ का गूदा पीसकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर इस चूर्ण को रोज सुबह-शाम ठंडे पानी के साथ खा लें। अगर बवासीर का दर्द बहुत अधिक है तो दिन में तीन से चार बार लें। कच्चे बेलफल का गूदा, सौंफ और सौंठ मिलाकर उसका काढ़ा बना कर सेवन करें।

बेल पेट के लिए फायदेमंद होता है (Bel is beneficial for stomach): बच्चों के पेट या आंतों में कीड़े या दस्त लगने की समस्या हो जाती है इस स्थिति में बेलपत्र का रस बहुत फायदेमंद होता हैं।

बेल कम सुनने की समस्या दूर करता है (Alleviates hearing problems): बेल के पत्तों को गाय के मूत्र में पीस लें। इसमें चार गुना तिल का तेल, तथा 16 गुना बकरी का दूध मिलाकर धीमी आग में पकाएं। इसे रोज कानों में डालने से बहरापन, सनसनाहट, कानों की खुश्की, और खुजली आदि समस्याएं दूर होती हैं।

बेल कई रोगों की रोकथाम करता है (Bell prevents many diseases)

बेल टीबी की बीमारी में फायदा करता है (Bel is beneficial in TB disease): बेल की जड़, अड़ूसा के पत्ते तथा नागफनी और थूहर के पके सूखे हुए फल 4-4 भाग लें। इसके साथ ही सोंठ, काली मिर्च व पिप्पली 1-1 भाग लें। इन्हें कूट लें। इसके 20 ग्राम मिश्रण को लेकर आधा ली जल में पकाए। जप पानी एक चैथाई रह जाए तो सुबह और शाम शहद के साथ सेवन कराने से टीबी रोग में लाभ होता है।

बेल बदहजमी के लिए फायदेमंद (Bel is beneficial for indigestion): पाचन-शक्ति कमजोर हो जाने पर बेलयुक्त चर्ण में मिश्री 2-2 ग्राम लें। इसमें 10 मिली तक अदरक का रस और थोड़ा जल मिलाकर आग पर पकाएं। गाढ़ा हो जाने पर दिन में 4 बार चटाएं। बेलयुक्त चूर्ण 50 ग्राम, अदरक 10 ग्राम को पीस लें। इसमें थोड़ी शक्कर और इलायची मिलाकर चूर्ण कर लें। सुबह-शाम भोजन के बाद आधा चम्मच गुनगुने जल से लें। 

बेल पीलिया और एनीमिया फायदेमंद (Bel jaundice and anemia beneficial): बेल के पत्ते के रस में आधा ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। सुबह शाम सेवन कराने से पीलिया और एनीमिया रोग में लाभ होता है।

बेल मधुमेह में फायदेमंद (Bael is beneficial in diabetes): बेल के पत्तों को पीस लें। उसमें 5-7 काली मिर्च भी मिलाकर पानी के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होता है। 

बेल फोड़े-फुंसी में फायदेमंद (Bel is beneficial in boils and pimples): बेल की जड़ या लकड़ी को जल में पीसकर उत्पन्न फोड़े-पुंसियों पर लगाने से लाभ होता है। 

बेल फ्रूट खाने से कमजोरी दूर होती है (Weakness is removed by eating bel fruit): बेलयुक्त चूर्ण और मिश्री को दूध के साथ सेवन करने से खून की कमी, शारीरिक कमजोरी तथा वीर्य की कमजोरी दूर होती है। 20-25 मिली बिल्व के पत्ते के रस में 6 ग्राम जीरक चूर्ण, 20 ग्राम मिश्री, तथा 100 मिली दूध मिला लें। इसे पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।  

अपनाएं आयुर्वेद लाइफस्टाइल (Adopt ayurveda lifestyle in hindi)