लाभदायक गुणों से भरपूर निर्गुंडी
(Nirgundi have full beneficial properties in hindi)
निर्गुंडी एक बहुत ही गुणी औषधि है जो बुद्धि को बढ़ाती है, (Nirgundi is a very powerful medicine that enhances intelligence) बालों के रोग और हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करता है, (Destroys hair diseases and harmful germs) वात को नष्ट करता है, (Destroys wind) भूख बढ़ाता है, (Increases appetite) भोजन को पचाता हैै (Digests food), सिर-दर्द को कम करता है (Reduces headaches), इसको त्वचा के ऊपर लेप के रूप में लगाने से सूजन कम होता है, कफ-खांसीनाशक, खुजली, बुखार, कान से मवाद आना, बुखार, साइटिका, लिंग की कमजोरी, अजीर्ण, मूत्राघात, कमजोरी, घाव को ठीक करने, घाव भरने के काम में आता है, कुष्ठ रोग, पेशाब बढ़ाता है, स्त्रियों में मासिक धर्म विकार को ठीक करता है, टायफायड बुखार, उलटी, आंखों की बीमारी तथा स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि के लिए किया जाता है।
निर्गुंडी सफेद, नीले और काले रंग के भिन्न-भिन्न फूलों वाली होती है। इसके पत्तो को मसलने में एक प्रकार की दुर्गन्ध उत्पन्न होती है। निर्गुंडी के रस और चूर्ण का सेवन किया जाता है। इसलिए अगर आप रस का सेवन कर रहे हैं तो 10-15 मिली से ज्यादा न करें। इसके साथ ही पाउडर 2-5 ग्राम से ज्यादा न करें।
निर्गुण्डी के अनेक फायदे (Many benefits of Nirgundi in hindi)
निर्गुंडी से सिर दर्द गायब (Headache disappeared from Nirgundi): निर्गुंडी के पत्तों को लाकर पीस लें। इसके बाद सिर पर इसका लेप लगाए। इसके अलावा निर्गुंडी का 2-5 ग्राम पाउडर लेकर दिन में तीन बार शहद के साथ खा लें।
निर्गुंडी मुंह के छाले से छुटकारा (Nirgundi get rid of cold sores): मुंह के छाले में निर्गुंडी के पत्तों को पानी के साथ उबाल लें। इसके बाद इस पानी से कुल्ला करें।
निर्गुंडी जोड़ों के दर्द में लाभदायक (Nirgundi beneficial in joint pain): जोड़ों के दर्द में निर्गुंडी का काढ़ा लाभदायक होता है। इसके लिए एक गिलास पानी में 10-11निर्गुंडी की पत्तियां डालकर उबाले। जब पानी आधा बच जाए तो तब सेवन करें।
निर्गुंडी चोट-सूजन में लाभदायक (Nirgundi beneficial ininjury inflammation): निर्गुंडी के पत्तों को पीसकर लेप बना लें। इस लेप को चोट या सूजन पर पट्टी बांधने से दर्द में आराम मिलता है।
निर्गुंडी मिर्गी में लाभदायक (Nirgundi is beneficial in epilepsy): निर्गुंडी के पत्तों के 5 से 10 बूंदों को दौरे के समय नाक में डालने से मिर्गी में आराम होता है।
निर्गुंडी कान के रोग में लाभदायक (Nirgundi beneficial in ear disease): निर्गुंडी के पत्तों के रस को शुद्ध तेल में, शहद के साथ मिलाकर 1 से 2 बूंद कान में डालने से कान के रोग में लाभ मिलता है।
निर्गुन्डी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेट्री गुण (Antibacterial and antiinflammatory properties in nirgundi)
निर्गुंडी घेंघा रोग में लाभकारी (Nirgundi beneficial in goitre disease): निर्गुंडी की जड़ों के पीसकर नाक में डालें और निर्गुंडी के पत्तों का रस दिन में 3 बार सेवन करें।
निर्गुंडी बुखार में लाभकारी (Nirgundi beneficial in fever): निर्गुंडी के पत्तों का रस या निर्गुण्डी के पत्तों का 10 मिलीलीटर काढ़ा, 1 ग्राम पीपल के चूर्ण के साथ मिलाकर देने से बुखार और फेफड़ों की सूजन कम हो जाता है। निर्गुंडी के पत्तों के 30-35 मिलीलीटर काढ़े की एक मात्रा में लगभग आधा ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से कफ के बुखार में आराम होता है। निर्गुंडी तेल में अजवाइन और लहसुन की एक से दो कली डाल दें तथा तेल हल्का गुनगुना करके सर्दी के कारण होने वाले बुखार, न्यूमोनिया, छाती में जकड़न होने पर इस बने तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
निर्गुंडी साइटिका में लाभकारी (Nirgundi beneficial in sciatica): सियाटिका, स्लिपडिस्क और मांसपेशियों को झटका लगने के कारण सूजन हो तो निर्गुण्डी की छाल का 5 ग्राम चूर्ण या पत्तों के काढ़े को धीमी आग में पकाकर 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से लाभ मिलता है।
निर्गुंडी फोड़े-फुंसी में लाभकारी (Nirgundi beneficial in boils): निर्गुंडी में एन्टीबैक्ट्रियल और एंटीफंगल का गुण पाया जाता है जो कि घाव को फैलने नहीं देता है और फोड़े को जल्दी ठीक करने में मदद करता है।
निर्गुंडी हाथ-पैर में लाभकारी (Nirgundi beneficial in hands and feet): निर्गुंडी में एंटी-इन्फ्लामेटोरी और एनाल्जेसिक गुण पाये जाते है जो कि जलन के साथ -साथ दर्द भी कम करने में सहायता करते है।
निर्गुंडी सुन्न में लाभकारी (Nirgundi beneficial in numb): निर्गुंडी में कफ- वात दोनों दोषों को शांत करने का गुण पाया जाता है जिससे जांघों का सुन्न होने में निर्गुंडी फायदेमंद होता है।
निर्गुंडी सिर में फुंसियां में लाभकारी (Nirgundi is beneficial in pimples on the head): निर्गुंडी में एन्टीबैट्रिअल और एंटीफंगल का गुण पाया जाता है जो कि त्वचा के इन समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
निर्गुण्डी के चमत्कारी फायदे (Miraculous benefits of Nirgundi in hindi)
निर्गुंडी नाड़ी-दर्द में लाभकारी (Nirgundi beneficial in pulse-pain): नाड़ी यानि नसों के दर्द में भी निर्गुंडी का उपयोग फायदेमंद होता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार जहाँ भी दर्द होता है वहाँ का प्रकोप जरूर मिलता है। निर्गुंडी में वात को शान्त करने का गुण होता है इसलिए निर्गुंडी नाड़ी दर्द में राहत देती है।
निर्गुंडी गठिया में लाभकारी (Nirgundi beneficial in arthritis): 10-11 ग्राम निर्गुंडी की जड़ के चूर्ण को तिल के तेल साथ सेवन करने से सभी प्रकार के गठिया रोगों में लाभ होता है।
निर्गुंडी चर्म रोग में लाभकारी (Nirgundi beneficial in skin disease): 15-20 मिली निर्गुंडी के पत्तों का रस सुबह-शाम पिलाने, और फफोलों पर पत्तों की सेंक करने से ठीक होता है। निर्गुण्डी की जड़ और पत्तों से पकाए तेल को लगाने से पुराने घाव, खुजली,एक्जीमा आदि चर्म रोग ठीक होते हैं।
निर्गुंडी गले में दर्द में लाभकारी (Nirgundi is beneficial in sore throat): निर्गुंडी के पत्तों को पानी में उबालें। इस पानी से कुल्ला करने से गले का दर्द ठीक होता है।
निर्गुंडी तेल (Nirgundi oil): निर्गुंडी तेल को मुंह, जीभ तथा होठों में लगाने से, तथा हल्के गर्म पानी में इस तेल को मिलाकर मुंह में रख कर कुल्ला करने से गले का दर्द, टांसिल में लाभ होता है।
निर्गुंडी भूख बढ़ाता है (Nirgundi increases appetite in hindi)
निर्गुंडी पेट संबंधी परेशानी में लाभकारी (Nirgundi is beneficial in stomach problems): पेट दर्द, एसिडिटी जैसी परेशानी में निर्गुंडी के पत्तों को 9 मिलीलीटर रस में 2 दाने काली मिर्च और थोड़ा सा अजवाइन का पाउडर मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए।
निर्गुंडी शारीरिक कमजोरी में लाभकारी (Nirgundi beneficial in physical weakness): निर्गुंडी की जड़, फल और पत्तों के रस से पकाए 15-20 ग्राम घी को नियमित पीने से शरीर पुष्ट होता है और शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
निर्गुंडी खांसी में लाभकारी (Nirgundi beneficial in whooping cough): निर्गुंडी के पत्तों के रस को शुद्ध दूध के साथ दिन में 2 बार लेने से खांसी दूर हो जाती है।
निर्गुंडी स्तनों में दूध वृद्धि के लिए (Nirgundi for increasing milk in breasts): निर्गुंडी के पत्ते का प्रयोग स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाने में सहायता करते है।
अपनाएं आयुर्वेद लाइफस्टाइल (Adopt ayurveda lifestyle in hindi)